पंजाब से दिल्ली के लिए चले किसान को अब देश भर के किसान संगठनों से समर्थन मिलना आरंभ हो गया है। केन्द्र सरकार इसको लेकर काफी संवेदनशील हो गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस बारे में वरिष्ठ सहयोगियों से चर्चा की है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए शनिवार शाम को केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी स्थिति स्पष्ट कर दी।

वहीं केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और कृषि मंत्रालय के अधिकारी किसानों के मुद्दे पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि केन्द्र सरकार किसानों की उचित मांगों पर उन्हें सकारात्मक भरोसा दिलाने के लिए संवेदनशील है।
केन्द्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि किसान आंदोलन को लेकर गलत संदेश प्रसारित किया जा रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे केंद्र सरकार किसानों की दुश्मन है, जबकि ऐसी स्थिति बिल्कुल नहीं है।
सूत्र का कहना है कि दिल्ली और इसके आस-पास कोविड-19 संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है। कोविड-19 संक्रमण ने तेजी से फिर अपना प्रसार किया है। इसलिए किसानों का बड़ी तादाद में एकत्र होना सुरक्षा की दृष्टि से अनुचित है। सरकार किसानों की दुश्मन नहीं है। सूत्र का कहना है कि हम किसानों के बेहतरी के लिए काम कर रहे हैं।
वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि अभी किसानों की मांग क्या है? वह क्या कह रहे हैं और उनकी परेशानी क्या है? वह केन्द्र सरकार से किस तरह का समाधान चाहते हैं और सरकार के सामने क्या स्थितियां हैं, यह महत्वपूर्ण मामला है।
शनिवार को गृहमंत्री और कृषि मंत्री ने साफ कह दिया कि वह किसानों को सुनने के लिए तैयार हैं। यह वार्ता तीन दिसंबर से पहले हो सकती है, लेकिन पहले किसान अपना प्रस्ताव तो भेजें। बताते हैं इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और प्रधानमंत्री कार्यालय दोनों संवेदनशील है। सूत्र ने कहा कि देश के किसान की जो भी व्यवहारिक और उचित समस्या होगी, सरकार उसे दूर करने का प्रयास करेगी। इसलिए मुझे नहीं लगता कि किसानों को बुराड़ी में या दिल्ली के बॉर्डर पर अधिक दिनों तक परेशान होना पड़ेगा।
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