केदारपुरी में छह फीट से अधिक बर्फ जम चुकी है और तापमान माइनस 15 डिग्री के आसपास चल रहा है। बावजूद इसके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को आगामी यात्रा शुरू होने से पूर्व अंजाम तक पहुंचाने के लिए वुड स्टोन कंस्ट्रक्शन कंपनी के 50 मजदूर पूरे मनोयोग से पुनर्निर्माण कार्यों में जुटे हैं। इनमें 30 स्थानीय और 20 नेपाली मजदूर हैं।
बर्फबारी के बीच उनके सामने चुनौती स्वयं को स्वस्थ एवं सुरक्षित रखने की भी है। दरअसल, बैरकों के ऊपर अधिक बर्फ जमा होने से उनकी छत ढहने का खतरा बना रहता है। सो, नियमित अंतराल पर बर्फ को हटाना जरूरी है। इसके अलावा मशीनों को बर्फ में दबने से बचाने की चुनौती भी है। ऐसी स्थिति में मजदूरों को सोने के लिए भी पर्याप्त वक्त नहीं मिल पाता।
नेपाली मजदूरों के मेट (ग्रुप लीडर) भोजपुर जिला (नेपाल) निवासी 52-वर्षीय काली प्रसाद बताते हैं कि बर्फबारी से कोई अनहोनी न घटे, इसलिए सभी मजदूर एक साथ नहीं सोते। वह रात में स्वयं भी साथियों के साथ दो-दो घंटे के अंतराल में ड्यूटी देते हैं। बीच-बीच में उन्हें बैरक की छत और उसके आसपास से बर्फ हटानी पड़ती है।
बताया कि वह बीते पांच वर्षों से शीतकाल के दौरान केदारपुरी में कार्य कर रहे हैं। वाण गांव (चमोली) के इंद्र सिंह, रुद्रप्रयाग जिले के नवील पुरोहित (सणगू) व प्रमोद (चौमासी) बताते हैं कि शीतकाल के छह महीने धाम में आठ से दस फीट बर्फ जमी रहती है। फिर भी वह टाइम टेबल के हिसाब से कार्य करते हैं।
वुड स्टोन कंस्ट्रक्शन कंपनी के केदारनाथ प्रभारी मनोज सेमवाल बताते हैं कि भोर होने पर सभी मजदूर बैरक की छत, आंगन व रास्ते से बर्फ हटाने के बाद ही नाश्ता करते हैं। फिर मशीनों के ऊपर से बर्फ हटाकर उनकी सर्विसिंग, तीर्थ पुरोहितों के निर्माणाधीन मकानों में लकड़ी, वेल्डिंग, टाइल्स सेटिंग, मशीनों की रिपेयरिंग आदि कार्य करते हैं।
दूसरी शिफ्ट दोपहर के भोजन के बाद एक से चार बजे तक चलती है। शरीर में गर्माहट रहे, इसके लिए डीजे, चेस, कैरम, वॉलीबाल, बैडमिंटन आदि की भी व्यवस्था है। साथ ही कमरों में रूम हीटर भी लगाए गए हैं।
कर्नल कोठियाल की रणनीति से बदली तस्वीर
नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) उत्तरकाशी के पूर्व प्रधानाचार्य कर्नल अजय कोठियाल के नेतृत्व में वर्ष 2014 से केदारपुरी में पुनर्निर्माण कार्य शुरू हुए। हालांकि, तब केदारपुरी को नए सिरे से बसाना आसान नहीं था, लेकिन कर्नल कोठियाल ने चुनौतियां स्वीकार करते हुए शीतकाल में भी निर्माण कार्य जारी रखे। इसी का नतीजा है कि अब केदारपुरी नए रूप-रंग में है।
नवंबर में 30 मजदूर आ चुके हैं वापस
नवंबर आखिरी सप्ताह में भारी बर्फबारी के चलते वुड स्टोन कंस्ट्रक्शन कंपनी और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के 30 मजदूर सोनप्रयाग वापस लौट गए थे। जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि मौसम खुलने पर इन्हें वापस केदारनाथ भेज दिया जाएगा। ताकि कार्य समय से पूरे हो सकें।
केदारपुरी में इन दिनों चल रहे कार्य
-आद्य शंकराचार्य की समाधि का निर्माण।
-आस्था पथ और तीर्थ पुरोहितों के लिए 146 मकानों का निर्माण।
-शॉपिंग मॉल का निर्माण।
-भैरवनाथ मंदिर जाने के लिए सरस्वती नदी और गरुड़चट्टी जाने के लिए मंदाकिनी नदी पर पुलों का निर्माण।
यात्रा सीजन में रहते हैं सात हजार लोग
यात्रा सीजन के दौरान लगभग सात हजार लोग स्थायी रूप से केदारपुरी में रहते हैं। इनमें मंदिर समिति के कर्मचारी, व्यापारी, पुलिस-प्रशासन समेत विभिन्न विभागों के कर्मचारी, मजदूर और तीर्थ पुरोहित शामिल हैं। इनके रहने के लिए कुछ पक्के भवन हैं और बाकी टेंट कॉलोनी तैयार की जाती है।