केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस पर जानकारी देते हुए कहा है कि तमाम प्रयासों की वजह से देश में मामलों के दोगुने होने की दर में काफी कमी आई है।
शुक्रवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वास्थ्य मंत्रालय, आईसीएमआर और अन्य विभागों ने सरकार की कोशिशों की जानकारी दी।
साथ ही इन प्रयासों की वजह से वायरस के मामलों को नियंत्रण में रखने के बारे में बताया। केंद्र सरकार के मुताबिक विभिन्न अध्ययनों के मुताबिक हमने लॉकडाउन करके बहुत सी जानें बचाई हैं।
अगर लॉकडाउन नहीं होता, तो देश में संक्रमित लोगों की संख्या 29 लाख तक पहुंच सकती थी। जबकि 37 से 78 हजार लोगों की मौत हो जाती।
आईसीएमआर के डॉक्टर रमन आर गंगाखेड़कर ने प्रतिदिन हो रही टेस्टिंग की जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि शुक्रवार को लगातार चौथे दिन एक लाख से ज्यादा टेस्ट किए गए।
शुक्रवार दोपहर एक बजे तक देश में 27,55,714 टेस्ट किए जा चुके हैं। इनमें से 18,287 टेस्ट निजी लैब में किए गए।
सशक्त समूह-1 के चेयरमैन व नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने केंद्र सरकार की भूमिका की सराहना की है।
उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत हम 1 करोड़ लोगों को इलाज मुहैया करवा रहे हैं। यह एक बड़ी उपलब्धि है।
महामारी का प्रकोप सीमित स्थानों तक ही सीमित रहा। 70 फीसदी मामले शहरों तक ही सीमित रहे।
वीके पॉल ने कहा कि लॉकडाउन की वजह हजारों लोगों की जान बच गई।
लॉकडाउन की वजह से 3 अप्रैल के बाद कोरोना वायरस के मामलों में तेजी से कमी आई है। इससे इसकी रफ्तार पर ब्रेक लगा है।
कोरोना वायरस के 80 फीसदी मामले 5 राज्यों में हैं जबकि 5 शहरों में 60 प्रतिशत तक मामले हैं।
इसके अलावा देश में कोरोना के कुल मामलों में से 90 फीसदी 10 राज्यों तक सीमित है। इनमें से भी 70 फीसदी 10 शहरों तक ही है।
नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल का कहना है कि हमें काफी सर्तक रहना होगा।
हमें अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना होगा। हमें मास्क लगाना है और दो गज की दूरी रखनी है।
देश में कोरोना वायरस से मृत्यु दर 3.13 प्रतिशत से घटकर 3.02 फीसदी हो चुका है। अब केंद्र सरकार का फोकस कंटेनमेंट मानकों का पालन करवाने पर है।