कोरोना वायरस को लेकर जहां संक्रमित मरीजों की संख्या में कमी आ रही है। वहीं इस संक्रमण से मरने वालों में भी भारी कमी दिखाई दे रही है। अब स्थिति यह है कि बीते 6 महीने में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या आधी हुई है। मई से लेकर अब तक मृत्यु दर में 50 की कमी दर्ज की गई है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, बेहतर चिकित्सीय रणनीति और समय रहते निगरानी की बदौलत भारत एक समय बाद मौतों को नियंत्रण करने में कामयाब रहा है। हालांकि दुर्भाग्य है कि अभी भी रोजाना सैकड़ों की तादाद में लोगों की जान जा रही है। इसे और भी ज्यादा नियंत्रण में लाने के लिए राज्यों को जरूरी कदम उठाने की सलाह दी जा रही है। इस पूरी लड़ाई में डॉक्टर अन्य कर्मचारियों की कमी भी काफी दिक्कत भरी रही। ज्यादातर अस्पताल में पर्याप्त स्टाफ न होने की वजह से तैनात कर्मचारियों को 16 से 18 घंटे तक की ड्यूटी देनी पड़ी। कई जगह पर एक एक कर्मचारी को 24 घंटे तक ड्यूटी पर रहना पड़ा।
दिल्ली एम्स के डॉक्टर अंजन त्रिखा का कहना है कि कोरोना महामारी आने के बाद ज्यादा जानकारी नहीं थी। उस वक्त मरीजों को उपचार देना काफी चुनौती बना हुआ था लेकिन इसके बाद अध्ययन और अनुभव मिलने लगे। इससे पहले स्वाइन फ्लू, सोर्स और मर्स जैसे संक्रमण ओं का अनुभव भी काम आया और उपचार प्रक्रिया में बदलाव करते चले गए अब काफी हद तक कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार को लेकर जानकारी है। अब इतना तक पता चल चुका है कि मरीजों को कौन सी दवा कब और कैसे देनी है? किस मरीज को किस तरह से प्लाज्मा दी जा सकती है?
आंकड़ों के अनुसार, 1 मई को देश में कोरोना वायरस मौतों की दर 3.8 प्रतिशत थी जो अब 1.49 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है। पिछले 24 घंटे में यह मृत्यु दर 1.48 फीस जीत दर्ज की गई है। नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पाल का कहना है कि राज्यवार निगरानी का नतीजा है कि मरीजों को समय रहते उपचार दिया गया। अस्पताल में मौजूद डॉक्टरों को दिल्ली एम्स की टीमें लगातार प्रशिक्षण दे रही हैं। इसके अलावा मरीजों की देखभाल को लेकर भी नर्सिंग कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण संचालित किए गए हैं। इसके साथ-साथ समय पर जांच को बढ़ावा भी दिया गया।
एक तरफ देश भर में टीका लगाने के लिए आवश्यक लोगों की सूची तैयार की जा रही है। वहीं केंद्र की ओर से अब स्कूल पंचायत ऑफिस और आंगनवाड़ी केंद्रों में टीका लगाने की सुविधा की तैयारियों करने की दिशा निर्देश दिए जा रहे हैं। टीके को लेकर गठित राष्ट्रीय टास्क फोर्स की सिफारिशों के आधार पर राज्यों को जल्द से जल्द इन केंद्रों को तैयार करने के लिए कहा जा रहा है। इस टीकाकरण की निगरानी भारत सरकार डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए करेगी। मंत्रालय के अनुसार, टीकाकरण के दौरान मोबाइल नंबर एसएमएस भेजा जाएगा।
जानकारी के मुताबिक, टीका लगाते वक्त व्यक्ति का आधार कार्ड डिजिटल प्लेटफार्म से लिंक किया जाएगा ताकि भविष्य में डुप्लीकेट आवेदन की आशंका न हो सके। अगर किसी के पास आधार कार्ड नहीं है तो वह कोई भी पहचान पत्र दिखाकर टीका लगवा सकता है। ईईवीआईएन का इस्तेमाल कर ऑनलाइन कोरोना के टीके का भंडारण आपूर्ति तैयारी पर निगरानी भी रहेगी।