वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते दुनियाभर के देशों में लॉकडाउन है। इसके कारण आर्थिक संकट भी गहराता जा रहा है। ऐसे में भारत सरकार भी आर्थिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने की कोशिश कर रही है।
इसके लिए केंद्र सरकार ने दो अहम उपाय करने जा रही है। पहला दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट का काम शुरू करना और दूसरा मझोले उद्योगों में निवेश बढ़ाने के लिए उसके आकार को दोगुना करने की तैयारी। आइए विस्तार से जानते हैं इन उपायों के बारे में…
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि सरकार दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट का काम शुरू कर रही है। इसके तहत यहां स्मार्ट विलेज, स्मार्ट सिटी व लॉजिस्टिक पार्क आदि का निर्माण होगा।
खास बात यह है कि यह काम भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) से कराया जाएगा। ऐसा पहली बार होगा जब सड़कों के अलावा एनएचएआई शहरों की प्लानिंग, बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन, प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त आदि से भी जुड़ेगा।
केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि सरकार ने एनएचएआई के एक्सप्रेसवे के साथ स्मार्ट सिटी, स्मार्ट गांव और लॉजिस्टिक पार्क बनाने को लेकर कानूनी सलाह मांगी है।
सरकार जानना चाहती है क्या एनएचएआई ये कर सकती है ताकि इस अवसर का लाभ देश के दूर-दराज के क्षेत्रों का विकास करके उठाया जा सके।
उन्होंने कहा कि एनएचएआई के पास हालांकि इसका अधिकार उसकी स्थापना के वक्त से है और इसके लिए उसके संविधान में प्रावधान भी है।
लेकिन फिर भी कानूनी सलाह लेना अच्छा है। उन्होंने कहा कि यदि जवाब हां में मिलता है तो इस पर तुरंत काम शुरू होगा। यदि जवाब नकारात्मक मिलता है तो फिर हम मंजूरी के लिए इसे कैबिनेट के सामने रखेंगे।
लॉकडाउन में देशभर में एनएचएआई ने करीब 270 सड़क निर्माण संबंधी प्रोजेक्ट पर काम दोबारा शुरू किया है, पर मजदूरों की संख्या कम हो गई है।
ऐसे में समय पर काम पूरा होना मुश्किल है। अधिकारियों का कहना है कि लॉकडाउन लागू होने पर एनएचएआई के करीब 338 प्रोजेक्ट बंद हो गए थे। इस दौरान आधे से ज्यादा मजदूर अपने घरों को लौट गए।
अब मजदूर रात में प्रोजेक्ट साइट से भागकर श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से घर जा रहे हैं। एनएचएआई के लिए चारधाम यात्रा रोड, दिल्ली-मुंबई कॉरिडोर, अमृतसर-जामनगर एक्सप्रेसवे, ट्रांस हरियाणा नार्थ-साउथ एक्सप्रेसवे और सबसे लंबा प्रोजेक्ट भारतमाला अहम प्रोजेक्ट हैं।
दिल्ली से मुंबई जाने के लिए अभी जो सड़क मार्ग है उससे करीब 22 घंटे का समय लगता है। जबकि दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे बन जाने पर यह समय घटकर 12 घंटे रह जाएगा, दोनों महानगरों के बीच की दूरी भी करीब 220 किलोमीटर घट जाएगी।
यह एक्सप्रेस-वे एक अलग रास्ता होगा, जो गुजरा, मध्यप्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र और राजस्थान के पिछड़े और दूर-दराज के कई आदिवासी इलाकों से होकर गुजरेगा। इसे तीन साल में बनाकर तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। इसकी अनुमानित लागत एक लाख करोड़ रुपये है।
सरकार मझोले उद्योगों में निवेश बढ़ाने के लिए उसके आकार को दोगुना करने की तैयारी में है। इसके लिए मझोले उद्योगों की परिभाषा को फिर से बदलकर निवेश सीमा 50 करोड़ और टर्नओवर 200 करोड़ किया जाएगा। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले सप्ताह ही एमएसएमई क्षेत्र की परिभाषा बदलने का एलान किया था।
केंद्रीय एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को कहा कि मझोले उद्योगों की परिभाषा को दोबारा संशोधित करने के लिए सरकार जल्द आदेश जारी करेगी। पिछले सप्ताह किए गए संशोधन के तहत 1 करोड़ तक निवेश और 5 करोड़ तक टर्नओवर वाली कंपनियों को सूक्ष्म, जबकि 10 करोड़ निवेश और 50 करोड़ टर्नओवर वाली कंपनियों को लघु उद्योग का दर्जा दिया गया है।
मझोले उद्योगों के लिए यह सीमा निवेश पर 20 करोड़ और टर्नओवर 100 करोड़ रखा गया है। गडकरी ने कहा कि हमने फैसला किया है कि मझोले उद्योगों का निवेश दायरा 20 करोड़ से बढ़ाकर 50 करोड़ और टर्नओवर 100 करोड़ से बढ़ाकर 200 करोड़ रुपये कर दिया जाए। इसके लिए जल्द आदेश जारी किया जाएगा।
निवेश या टर्नओवर…किसी एक पर बने परिभाषा
गडकरी ने कहा, हमारा मानना है कि मझोले उद्योगों की परिभाषा निवेश और टर्नओवर के बजाए दोनों में से किसी एक पर आधारित होनी चाहिए। इतना ही नहीं, इस बात पर भी विचार किया जा रहा है कि मझोले उद्योगों की टर्नओवर सीमा 250 करोड़ कर दी जाए। इस पर एमएसएमई सचिव से बातचीत भी चल रही है।
हमारी कोशिश निर्यात में एमएसएमई क्षेत्र की भागीदारी को 48 से बढ़ाकर 60 फीसदी और जीडीपी में 29 से 50 फीसदी करने की है। यह क्षेत्र वर्तमान में 11 करोड़ रोजगार दे रहा है। इसे वैश्विक मानक तक पहुंचाकर 5 करोड़ रोजगार और पैदा करने की कोशिश है।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को ट्वीट कर बताया कि सरकारी बैंकों ने 1 मार्च से 15 मई तक एमएसएमई, कृषि और खुदरा क्षेत्र को 6.45 लाख करोड़ रुपये के कर्ज बांटे हैं। इस दौरान 54.86 लाख खातों के लिए कर्ज स्वीकृत किया गया है। इसमेें 50 हजार करोड़ का कर्ज महज एक सप्ताह के भीतर दिया गया है।
वित्तमंत्री ने कहा, बैंकों ने 1.03 लाख करोड़ रुपये आपात कर्ज के रूप में दिए हैं, जो 20 मार्च के बाद बांटा गया है। इसके अलावा 65,879 करोड़ की राशि कार्यशील पूंजी के तौर पर दी गई, जो मौजूदा कोष के 10 फीसदी के बराबर देने की घोषणा की गई थी।