किसानों ने केंद्र सरकार की गलतफहमी को दूर कर दिया हमारा आंदोलन कई गुना तेजी से आगे बढ़ता जा रहा है: भारतीय किसान यूनियन

किसान आंदोलन को लेकर दोनों पक्षों में सरगर्मी बढ़ गई है। केंद्र सरकार के मंत्रियों ने अपनी बैठकें कर किसानों के मुद्दे पर बीच का रास्ता निकालने के लिए मंथन शुरू किया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के बीच रविवार दोपहर को हुई बैठक में एक नए प्रस्ताव पर चर्चा की गई है। किसान आंदोलन को लेकर अगले 48 घंटे अहम हैं। इस अवधि में कोई सार्थक नतीजा सामने आ सकता है। ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्यवान ने एक खास बातचीत में कहा, किसानों ने सरकार की उस गलतफहमी को दूर कर दिया है, जिसमें यह समझा जा रहा था कि ये तो केवल पंजाब के किसानों का आंदोलन है।

अब किसानों के साथ भूतपूर्व सैनिक, पूर्व खिलाड़ी, नौकरशाह, विभिन्न कर्मचारी संगठन और विपक्षी दल आ रहे हैं। तकरीबन सभी राज्यों से किसानों के छोटे-बड़े जत्थे दिल्ली के लिए रवाना हो चुके हैं। सत्यवान ने आरोप लगाया कि सरकार ने आंदोलन को हर तरह से बदनाम करने की कोशिश की, आज भी कर रही है, लेकिन आंदोलन कई गुना तेजी से आगे बढ़ता जा रहा है। हमारा गेम प्लान केंद्र सरकार को बैकफुट पर ला सकता है, ऐसी उम्मीद नजर आने लगी है।

किसान नेता बताते हैं कि केंद्र सरकार ने इस आंदोलन को तोड़ने के लिए क्या कुछ नहीं किया। अब भी साजिश रची जा रही है, लेकिन अच्छी बात ये है कि आंदोलन कमजोर पड़ने की बजाए, रफ्तार पकड़ रहा है। देश के वे युवा, जो बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं, इस आंदोलन का हिस्सा बन गए हैं। युवाओं के आने से किसान आंदोलन को खासी मजबूती मिली है।

अब सरकार के दिमाग की घंटी बजने लगी है। देखिए आगे क्या होता है, लेकिन 48 घंटे अहम हैं। भाजपा के सहयोगी दलों के नेता भी यह बात मान रहे हैं कि अब सरकार और किसानों के बीच सार्थक बात हो सकती है। सरकार ने कुछ दबाव मानना शुरू किया है। हालांकि कानूनों को वापस लेने जैसा सरकार कुछ करेगी, इसमें अभी संशय है। किसान नेता ने कहा, हम जानते हैं कि सरकार पर कॉरपोरेट सेक्टर का भारी दबाव है। उसी के चलते केंद्र सरकार साठ करोड़ किसानों के हितों को पूरा करने के लिए आगे नहीं आ रही।

रविवार को हरियाणा के हजारों किसानों के साथ दिल्ली सीमा पर पहुंचे सत्यवान ने आगे कहा, केंद्र सरकार हमें परख रही है। वह देखना चाहती है कि किसानों में कितनी एकता है। सरकार को यकीन ही नहीं था कि देश भर के किसान दिल्ली पहुंचने लगेंगे।

अभी सरकार किसानों को एमएसपी के मायाजाल में उलझाना चाहती है। वह एमएसपी बनाम तीन कानून की नीति पर चल रही है। दूसरी तरफ किसान संगठनों ने साफ कर दिया है कि तीनों कानून वापस लेने होंगे। पिछले दो तीन दिन से जब समाज के हर वर्ग ने किसानों के पक्ष में आवाज उठाई है, तब से सरकार के बैकफुट पर आने की संभावना बढ़ती जा रही है। 

किसानों का गेम प्लान बड़ा साफ है कि सरकार नहीं मानती है तो आने वाले दिनों में सरकार को अपने कार्यालय तक पहुंचने में दिक्कत आ जाएगी। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, यूपी, बिहार, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र आदि राज्यों से अब किसानों की टोलियों का समय तय कर दिया गया है। एक टोली सात दिन तक दिल्ली में रहेगी। उसके बाद दूसरी टोली आ जाएगी। इस तरह से किसी किसान का कामकाज ठप नहीं होगा और आंदोलन भी चलता रहेगा।

पंजाब और हरियाणा के पूर्व सैनिक, जो कि अब खेती कर अपना गुजारा करते हैं, वे भी आंदोलन में शामिल हो गए हैं। जिन पूर्व सैनिकों को मेडल मिले हैं, उन्हें वापस लौटाया जाएगा। मौजूदा तैयारी के बीच किसानों का यह आंदोलन छह माह तक नियमित चल सकता है।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com