कृषि सुधार कानूनों के विरोध में भले ही पंजाब के हजारों किसान दिल्ली के बार्डर पर डटे हुए हैं, लेकिन इस सबके बीच खेत में उनकी मेहनत रंग ला रही है। दोआबा क्षेत्र के किसानों ने इस बार आलू की बंपर फसल ली है। यही कारण है कि कम भाव के बावजूद वे अच्छी कमाई कर रहे हैं। आने वाले समय में भाव और अच्छा मिलने की उम्मीद है।
करतारपुर गांव के रहने वाले जसबीर सिंह कई सालों से आलू की खेती कर रहे हैं। वह कहते हैं, ‘इस बार मौसम ने काफी साथ दिया। लेबर भी समय गई और खाद का संकट भी नहीं हुआ। हमने कड़ी मेहनत की और नतीजा हमारे सामने है।’ वंडाला गांव के संदीप शर्मा ने कहा, ‘हर साल 35 फीसद तक आलू खराब हो जाता था। इस बार हमने खेत में ज्यादा समय दिया। पानी की निकासी आदि का वैज्ञानिक ढंग से प्रबंधन किया। यही कारण है कि इस बार चार से पांच फीसद आलू ही खराब हुआ है। पिछले साल के मुकाबले नुकसान काफी कम हुआ है।’
गौरतलब है कि इस साल पंजाब में 1.06 लाख हेक्टेयर रकबे में आलू की बिजाई की गई थी। औसतन 270 क्विंटल प्रति हेक्टेयर आलू का उत्पादन हुआ है। यानी राज्य में कुल पैदावार 28 लाख मीट्रिक टन रही, जो पिछले साल से लगभग दो लाख मीट्रिक टन यानी करीब पांच फीसद ज्यादा है। आलू उत्पादक मुकेश चंद्र कहते हैं, ‘मैंने 150 एकड़ में आलू की बिजाई की थी और बंपर फसल हुई है। अभी भाव थोड़ा कम मिल रहा है, लेकिन आने वाले समय में यह ठीक भाव मिलेगा।”
मकसूदां सब्जी मंडी के थोक कारोबारी सुभाष ढल के अनुसार इस बार पंजाब सहित कुछ और राज्यों में भी आलू की बंपर फसल हुई है। पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश व बंगाल सहित कई राज्यों में फसल कम हुई थी। तब किसानों को 13 से 14 रुपये प्रति किलो का भाव मिला था। इस बार अभी तक छह से सात रुपये प्रति किलो मिल रहा है।
कोरोना काल में अच्छी फसल का एक बड़ा कारण यह भी रहा कि पिछले साल के मुकाबले फरवरी में बारिश नहीं हुई। इससे आलू की ग्रोथ अच्छी हुई और बीमारी भी नहीं लगी। आलू की क्वालिटी बढिय़ा रही। हालांकि, उत्पादन में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी नहीं है। दोआबा क्षेत्र के तहत आते जालंधर, होशियारपुर, कपूरथला में इस बार आलू का आकार पिछले साल के मुकाबले बड़ा है। पिछले साल लगातार बारिश के कारण फसल खराब हो गई थी। दोआबा किसान संघर्ष कमेटी के उप प्रधान मुकेश चंद्र के अनुसार इस बार 225 से 250 बोरी प्रति एकड़ आलू की पैदावार हुई है।
बीज में इस्तेमाल होता है 65 फीसद आलू
बागवानी विभाग की डायरेक्टर शैलिंदर कौर ने बताया कि पंजाब देश के दूसरे राज्यों में आलू की मांग पूरा करने के अलावा बीज भी सप्लाई करता है। आलू की कुल पैदावार में से 65 फीसद आलू देश के दूसरे राज्यों में बीज के तौर पर सप्लाई किया जाता है। केवल 35 फीसद आलू ही खाने के लिए प्रयोग किया जाता है। बागवानी विभाग के डिप्टी डायरेक्टर विपन पठानिया ने बताया कि राज्य में 28 लाख मीट्रिक टन आलू का उत्पादन हुआ है। क्वालिटी में काफी सुधार आया है।
किस जिले में कितनी पैदावार
जिला | रकबा (हेक्टेयर) | पैदावार (प्रति एकड़) | उत्पादन (लाख मीट्रिक टन) |
जालंधर | 22760 | 277 | 6.31 |
होशियारपुर | 15660 | 277 | 4.32 |
लुधियाना | 13526 | 273 | 3.7 |
कपूरथला | 9976 | 272 | 2.71 |
अमृतसर | 8566 | 261 | 2.24 |
मोगा | 7426 | 292 | 2.17 |
बठिंडा | 5434 | 261 | 1.42 |
फतेहगढ़ साहिब | 5006 | 260 | 1.3 |
पटियाला | 4768 | 255 | 1.22 |
नवांशहर | 2806 | 257 | 0.72 |
तरनतारन | 1990 | 254 | 0.5 |
बरनाला | 1740 | 248 | 0.43 |
मोहाली | 1558 | 249 | 0.38 |
फिरोजपुर | 1308 | 257 | 0.33 |
रोपड़ | 1026 | 240 | 0.24 |
संगरूर | 906 | 256 | 0.23 |
गुरदासपुर | 820 | 248 | 0.2 |
फरीदकोट | 370 | 240 | 0.08 |
मानसा | 218 | 243 | 0.05 |
श्री मुक्तसर साहिब | 195 | 253 | 0.04 |
फाजिल्का | 105 | 243 | 0.02 |
पठानकोट | 2 | 263 | 0.0053 |
कुल | 1,0,6066 | 270 | 28,69,953 |