पंजाब यूनिवर्सिटी के चौथे ग्लोबल एलुमनी मीट में पूरे दिन कैंपस में खुशनुमा माहौल रहा। लगभग हर विभाग में पूर्व छात्र अपने पुराने दिनों को याद करने के लिए पहुंचे थे। सबसे ज्यादा चहल पहल फिजिक्स डिपार्टमेंट में थीं। सुबह 11 बजे से एक-एक कर पूर्व छात्रों का पहुंचना शुरू हो गया था। इसमें देश के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार अजय सूद, पर्यावरणविद डॉ वंदना शिवा, पूर्व वीसी समेत अन्य थे।
डॉ. वंदना ने कार उतरते ही डिपार्टमेंट में लगे कई विंडो एसी की तरफ देखा। कहा कि कार्बूजिए ने खिड़कियां तो बनाई नहीं। पहले काफी घुटन होती थी। अब तो एसी लग गए हैं। सुनते ही पेक के पूर्व रजिस्ट्रार व बैचमेट अश्विनी पाराशर ने कहा कि उस समय एसी की जरूरत भी नहीं थी। वंदना शिवा ने कहा कि कार्बूजिए प्लानिंग में मास्टर थे लेकिन इमारत में जिस इंसान को रहना था, उसकी सोच को नहीं समझ पाए। वो यह नहीं समझ पाए कि इमारत भारतवासी के लिए बना रहे हैं।
उन्होंने कहा कि उनके हॉस्टल में आठ कोने थे। क्लास में भी काफी चुनौतियां थीं। फिजिक्स डिपार्टमेंट में सभी पूर्व छात्रों का स्वागत पीयू के पूर्व वीसी प्रो अरुण ग्रोवर कर रहे थे। सुबह साढ़े 11 बजे तक लगभग सभी पूर्व छात्र पहुंच गए थे। इंतजार देश के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार व बैचमेट अजय के सूद का था। अरुण ग्रोवर ने कहा कि 1972 और 73 का बैच फिजिक्स डिपार्टमेंट का सबसे अच्छा बैच रहा है। उनके मैच में कोई कंपटीशन नहीं था, क्योंकि सारे ही टॉपर थे। बैच में 55 छात्र थे, जिसमें से 20 बैंक में है। बाकी अन्य भी देश की प्रतिष्ठित संस्थानों में उच्च पदों पर हैं। प्रो. ग्रोवर अजय सूद की ही बात कर रहे थे कि वो पैदल चलते हुए डिपार्टमेंट पहुंचे। ग्रोवर ने कहा कि आज भी वह उस रूट से आए हैं, जिससे वह सभी पढ़ाई के दिनों में आते और जाते थे। अजय के सूद के पहुंचते ही सभी ने एक दूसरे को पहचाना। हाथ मिलाया और फिर डिपार्टमेंट के अंदर गए।
अजय सूद बोले- सिर्फ पढ़ाई ही नहीं, जिंदगी जीने का तरीका भी सीखा
अजय के सूद ने कहा कि उन्होंने जुलाई 1968 में दाखिला लिया था। इतने साल बीत चुके हैं लेकिन लग रहा है कि जैसे कल की ही बात है। पीयू में पढ़ाई के चार साल बहुत ही प्रभावशाली रहे हैं। पुराने दोस्तों और शिक्षकों के चेहरे देख कर अच्छा लग रहा है। उन्होंने कहा कि पुरानी यादें कभी नहीं भूलती हैं। जो गुण यहां से सीखे हैं, पूरी जिंदगी याद रहे हैं। बताया कि वह हॉस्टल दो, तीन और पांच में रहे हैं। जो दोस्ती उस समय हुई थी, वह आज भी जिंदा है। कहा कि यहां सिर्फ फिजिक्स ही नहीं पढ़ी है, जिंदगी जीने का तरीका भी सीखा है।
साड़ियां लेकर पहुंची थी चंडीगढ़, लड़के बुलाते थे माताजी: वंदना शिवा
प्रसिद्ध पर्यावरणविद् डॉ. वंदना शिवा भी पीयू के फिजिक्स डिपार्टमेंट की 1972 बैच की हैं। उन्होंने भी अपने पुराने दिनों को याद किया। बताया कि उस समय उन्होंने पहले दिल्ली यूनिवर्सिटी में रजिस्ट्रेशन कराया था लेकिन बाद में वह चंडीगढ़ आ गईं। वह साड़ी के साथ चंडीगढ़ में आई थी तो उस समय लड़के उन्हें माताजी कहकर पुकारते थे। कहा कि यहां पर सिर्फ पढ़ाई ही नहीं की, बल्कि जिंदगी की दिशा भी उन्हें यहीं पर मिली। जब पीयू में दाखिला लिया तो लोग हंसते थे। कहते थे कि वह डीयू क्यों नहीं गई लेकिन यहां उन्हें ऐसे शिक्षक मिले, जिन्होंने जिंदगी बदल ली।
आईपीएस बनने की दिशा और प्रेरणा यहीं मिली: किरण बेदी
पूर्व आईपीएस किरण बेदी ने कहा कि जैसे कोई अपने मां-बाप को नहीं भूल सकता है। वैसे ही वह पंजाब यूनिवर्सिटी को नहीं भूल सकती हैं। पॉलिटिकल साइंस में मास्टर्स के दो साल के दौरान उन्होंने जो सीखा, उसका कोई मुकाबला नहीं है। यह बहुत प्यारी जगह है। बेदी ने बताया कि पढ़ाई के दौरान उन्होंने यूनिवर्सिटी के एक-एक इंच पर साइक्लिंग की है। क्लास भी साइकिल से ही जाती थीं। कहा कि ग्रेजुएशन का टाइम कॅरिअर बनाने का समय होता है। हम अपना रास्ता ढूंढ रहे होते हैं। यूनिवर्सिटी कॅरिअर को दिशा देने का रोल अदा करती है। बताया कि आईपीएस बनने की दिशा भी उन्हें यहीं से मिली। अगर ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर और शिक्षक मिले तो एक-एक मिनट को भी जाया नहीं करना चाहिए।