अक्सर सफर करना और घूमना फिरना सभी को बहुत अच्छा लगता है। परंतु किसी किसी को सफर करने के नाम से ही डर लगने लगता है। विशेष कर बस कार आदि का लंबा सफर। क्योकि उन्हें सफर के समय उल्टियां होती है या जी घबराता है। किसी किसी के चक्कर आते है
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सफर में जी घबराना या उलटी होने का कारण
# हमारे शरीर की सारी प्रक्रिया दिमाग द्वारा संचालित होती है। हमारा देखना , सुनना आदि तभी संभव होता है जब दिमाग तक इनके संकेत पहुँचते है।
# इसी प्रकार जब हम चलते है तो हमारे शरीर की चलने की क्रिया दिमाग द्वारा ही संचालित होती है। जब हम चलते है तब दिमाग में देखने , सुनने और गति से सम्बंधित तीन प्रकार के संकेतों में सामंजस्य बनता है।
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# इसी वजह से हम सही तरीके से चल पाते है। यदि इन संकेतो में किसी कारण से सामंजस्य नहीं बन पाए या ये संकेत समझने में दिमाग भ्रमित हो जाये तो उसका विपरीत प्रभाव शरीर पर पड़ने लगता है।
# जिसका विपरीत प्रभाव शरीर पर जी घबराना , चक्कर आना या उल्टी होने के रूप में सामने आता है। बस या कार के सफर में यही होता है। इसे ही मोशन सिकनेस कहते है।