कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के भाई सचिन की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। बुधवार को गुरुग्राम और देहरादून शहर से आए डेढ़ दर्जन लोगों ने शीशमबाड़ा में प्लाटिंग कर जमीन की रजिस्ट्री करने के बाद भी कब्जा न देने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि हाल में सचिन के खिलाफ आए एक मामले के बाद शक है कि उनके साथ भी धोखाधड़ी हुई है। डीआइजी अरुण मोहन जोशी ने मामले की जांच सीओ सदर को सौंपी है।
जानकारी के अनुसार, प्रमोद बड़ोनी निवासी गुरुग्राम समेत डेढ़ दर्जन लोगों ने डीआइजी अरुण मोहन जोशी से मुलाकात की। उन्होंने बताया कि वर्ष 2011 में उनकी सचिन उपाध्याय से मुलाकात हुई। तब उन्होंने बताया कि उनकी शीशमबाड़ा के परवल में जमीन है। जहां वह दून ग्रीन वैली प्रोजेक्ट के तहत प्लाटिंग कर बेच रहे हैं। प्रमोद ने कहा कि जमीन को मौके पर जाकर देखने और दस्तावेजों की पड़ताल करने के बाद उन सभी ने तय रकम देकर जमीनों की रजिस्ट्री करा ली। लेकिन तब से आठ साल का लंबा वक्त गुजर जाने के बाद भी उन्हें जमीनों पर कब्जा नहीं मिल पाया।
उन्हें लगता कि सचिन बड़े नेता का भाई है कि वह उनके साथ धोखा नहीं करेगा। इसलिए वह अभी तक चुप थे। लेकिन हाल में सचिन को जब पुलिस ने धोखाधड़ी के एक मामले में गिरफ्तार किया तो उन्हें भी लगने लगा कि कहीं उनके साथ भी तो धोखाधड़ी नहीं हुई है। क्योंकि वह भी जमीन पर कब्जे के लिए भटक रहे हैं, लेकिन न तो कब्जा मिल रहा है और न ही रकम वापस मिल रही है। डीआइजी ने मामले की जांच सीओ सदर अनुज कुमार को सौंपी है।
सचिन की जमानत याचिका खारिज
राजपुर में सचिन उपाध्याय के खिलाफ दर्ज धोखाधड़ी के मामले में उनके अधिवक्ता की ओर से दाखिल जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। अभियोजन व बचाव पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद एसीजेएम थर्ड की अदालत ने याचिका खारिज कर दी। बता दें कि सचिन के अधिवक्ता की ओर से मंगलवार को कोर्ट में जमानत याचिका लगाई गई थी, जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने राजपुर पुलिस से बुधवार को केस डायरी प्रस्तुत करने का आदेश दिया था।