कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियां तेज कर दी हैं। जहां एक तरफ चुनाव के लिए विभिन्न समितियां गठित कर दी गई हैं, वहीं जमीनी कार्यकतार्ओं की राय जानने के लिए संसदीय स्तर पर पर्यवेक्षक भेजे जा रहे हैं। राज्य में कांग्रेस ने डेढ़ दशक बाद सत्ता हासिल की है। आगामी लोकसभा चुनाव में भी वह विधानसभा चुनाव की तरह प्रदर्शन दोहराना चाह रही है।
चुनावी तैयारी के सिलसिले में एक तरफ पार्टी ने जहां जिला और संसदीय स्तर पर पर्यवेक्षक भेजे हैं, वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री कमलनाथ राजधानी में लोकसभावार मंथन कर रहे हैं। उनकी विभिन्न क्षेत्रों के नेताओं व पदाधिकारियों के साथ बैठकों का दौर जारी है। इन बैठकों में कमलनाथ नेताओं से संभावित उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा कर रहे हैं।
पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी की टीम के सदस्य के तौर पर प्रदेश महासचिव दीपक बावरिया के अलावा सचिव वर्षा गायकवाड़, सुधांशु त्रिपाठी, जुवेर खान, हर्षवर्धन सकपाल, संजय कपूर को विभिन्न क्षेत्रों की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
कांग्रेस के प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा ने बताया, “पार्टी आम कार्यकर्ता से लेकर पदाधिकारियों से संवाद कर बेहतर प्रत्याशी का चयन करना चाहती है। इसी को ध्यान में रखकर संसदीय क्षेत्र स्तर पर और जिला स्तर पर पर्यवेक्षक भेजकर राय-मशविरा किया जा रहा है। बैठकें हो रही हैं, कार्यकताओं से संवाद किया जा रहा है। ये पर्यवेक्षक अपनी रपट संगठन को भेजेंगे, जिसके आधार पर उम्मीदवारों का चयन होगा।”
कांग्रेस महासचिव (संगठन) के. सी. वेणुगोपाल ने हाल ही में राज्य में चुनाव के मद्देनजर प्रदेश चुनाव समिति, चुनाव प्रबंधन समिति, घोषणा-पत्र समिति, समन्वय समिति और संचार समिति का गठन किया है। इन समितियों में राज्य के प्रमुख नेता कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिग्विजय सिंह, राजेंद्र सिंह, अजय सिंह को स्थान दिया गया है। वहीं इन नेताओं के समर्थकों को भी जगह दी गई है।
राज्य में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के जरिए कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई है। कांग्रेस को 230 सीटों में से 114 मिली हैं, जबकि भाजपा के खाते में 109 सीटें आई हैं। कांग्रेस ने बसपा के दो, सपा के एक और निर्दलीय चार विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई है।
राजनीतिक विश्लेषक साजी थामस का कहना है, “आगामी लोकसभा चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण होगा। यह चुनाव कांग्रेस के लिहाज से मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनकी सरकार के प्रदर्शन पर जनमानस की राय जाहिर करने वाला होगा। वहीं भाजपा के लिए यह चुनाव बीते डेढ़ दशक की भाजपा सरकार और मौजूदा कमलनाथ सरकार की कार्यशैली के अंतर व केंद्र की मोदी सरकार का रिपोर्ट कार्ड होगा। यही कारण है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों इस चुनाव में विधानसभा चुनाव से कहीं ज्यादा गंभीर रहेंगे।”
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 29 में से 27 और कांग्रेस ने सिर्फ दो स्थानों पर जीत दर्ज की थी। बाद में रतलाम संसदीय सीट के लिए हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। इस तरह राज्य में कांग्रेस के पास तीन और भाजपा के पास 26 सीटें हैं। कांग्रेस जीत के आंकड़े को आगे ले जाना चाहती है, क्योंकि इस बार राज्य में उसकी सरकार है। इसके लिए उसने अभी से प्रयास तेज कर दिए हैं।