नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कश्मीर में जारी अशांति और वहां को लेकर मीडिया द्वारा की जा रही नकरात्मक कवरेज से परेशान हैं। इस नाते पीएम मोदी ने कश्मीर के ख़ास मिशन के लिए अपने चार वरिष्ठ मंत्रियों- राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज और वेंकैया नायडू को मीडिया से बातचीत की जिम्मेदारी सौंपी है।
मोदी सरकार और मीडिया की यह बैठक पूरी तरह से ‘ऑफ द रिकॉर्ड’ होने थी, मतलब सूत्रों को लेकर कोई बात नहीं होनी थी। अगले दिन मीडिया ने जो डाटा दिया गया, उसके आधार पर कश्मीर की रिपोर्ट प्रकाशित की और सूचना के लिए अनाम ‘सूत्रों’ का हवाला दिया।
लेकिन कश्मीर के ख़ास मिशन की इस गुप्त बैठक का राज सूचना एवं प्रसारण मंत्री वेंकैया नायडू छिपा नहीं सके और मीडिया से बात करने वाले मंत्रियों के नाम ट्वीट कर दिए। उन्होंने यह भी ट्वीट कर दिया कि बातचीत के बाद उन्होंने प्रधानमंत्री से इस बारे में मुलाकात की।
नरेंद्र मोदी सरकार अपने कार्यकाल के शुरुआत से ही कश्मीर समस्या के समाधान की कोशिश कर रही है लेकिन अभी तक कोई राह नहीं मिली। कश्मीर में भाजपा-पीडीपी के गठबंधन पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमांडर बुरहान वानी की 8 जुलाई को मुठभेड़ में मौत के बाद घाटी में शुरू हुई हिंसा में दो पुलिसकर्मियों समेत करीब 80 लोग मारे जा चुके हैं। कश्मीर कुछ इलाकों में अभी भी कर्फ्यू हुआ है।
पीएम मोदी ने कश्मीर समस्या का हल निकालने के लिए गृह मंत्री राजनाथ को गिलानी से मिलने भेजा लेकिन उसने अपने घर के दरवाजे नहीं खोले तो सोमवार (5 सितंबर) को गृह मंत्री राजनाथ ने कहा, “अलगाववादियों के व्यवहार ने दिखा दिया कि वे कश्मीरियत, इंसानियत और जम्हूरियत में विश्वास नहीं करते हैं।”