चंबल नदी पर मध्य प्रदेश सरकार के प्रोजेक्ट पर पर्यावरण मंत्रालय ने रोक लगा दी है। प्रदेश सरकार चंबल नदी के मीठे पानी को पेयजल के लिए इस्तेमाल करने को लेकर पाइप लाइन बिछाने और प्रवाह को रोकने के लिए कुएं बनाने का प्रस्ताव दिया था।

रोक के पीछे मंत्रालय का तर्क है कि क्योंकि इस इलाके में नदी में मगरमच्छ, डॉल्फिन और कछुए जैसे संरक्षित प्रजाति के जीवों का बसेरा है, इसलिए उनके संरक्षण के लिए नदी का अविरल प्रवाह बना रहना जरूरी है।
इसमें पाया गया कि चंबल से 25 किलोमीटर दूर श्योपुर की पेयजल जरूरतों को पूरा करने के लिए इस योजना का प्रस्ताव किया गया है। राज्य सरकार ने अपने प्रस्ताव में इसका खुलासा नहीं किया था कि जल संरक्षण के लिए चुना गया स्थान घड़ियाल, डॉल्फिन आदि के निवास के बिलकुल करीब है।
बोर्ड ने कहा कि घड़ियालों के लिए नदी की अविरलता का न्यूनतम पैमाना होना चाहिए। इसी तरह डॉल्फिन भी गहरे मीठे पानी में रहती है। देहरादून की एजेंसी ने चंबल नदी की धारा की अविरलता को जांचा तो पाया कि यह जीवों की जरूरतों के मुताबिक जरूरी पैमाने से खासी धीमी गति से बह रही है। ऐसे में इसमें पाइप डालने व कुएं बनाने से सैकड़ों संरक्षित प्रजातियों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा।
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