भारत में कोरोना संक्रमण के मामले 60 लाख के पार पहुंच चुके हैं और अब ऐसा लगने लगा है कि हम इस महामारी के चरम को पार कर चुके हैं। एक ओर आर वैल्यू में कमी आई है तो दूसरी ओर दैनिक औसत मामले भी कम हुए हैं। सक्रिय मामलों में भी कुछ वक्त से उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है। ये सारे पहलू इस ओर इशारा कर रहे हैं कि हम कोरोना वायरस का सबसे बुरा दौर झेल चुके हैं और अब स्थितियां धीरे- धीरे सामान्य होने की ओर अग्रसर हो सकती हैं। आइए उम्मीद बढ़ाने वाले इन आंकड़ों को समझें…
एक से भी कम हुई देश की आर वैल्यू देश की आर वैल्यू में गिरावट दर्ज की गई है। द इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज चेन्नई के आंकड़ों के अनुसार, पिछले सप्ताह देश की आर वैल्यू गिरकर 0.9 रह गई है। इससे पूर्व के सप्ताह में यह 1.1 थी। इसका अर्थ है कि कोरोना संक्रमित एक से भी कम व्यक्ति को संक्रमित कर रहा है। इसके कारण देश में कोरोना वायरस का प्रसार कम हो रहा है।
टेस्ट बढ़ने के बावजूद कम हुए मामले : देश में महामारी के प्रकोप के बाद पहली बार 17 सितंबर को मामलों का दैनिक औसत 93,199 पहुंच गया। महामारी के प्रकोप के बाद से यह सर्वाधिक था। 25 सितंबर तक इसका स्तर 86,270 तक गिर गया है। देश में पहला मामला सामने आने के बाद से ऐसा पहली बार हुआ है जब इतने लंबे समय तक गिरावट दर्ज की गई है। इसके बावजूद कि उसी अवधि में देश में टेस्ट की औसत दैनिक संख्या 10.7 से बढ़कर 11.2 लाख तक पहुंच चुकी थी। टेस्ट बढ़ने के बाद भी पॉजिटिव आने वालों की संख्या 8.7 फीसद से घटकर 7.7 फीसद रह गई।
सक्रिय मामले हुए कम : किसी भी महामारी के प्रसार में सर्वाधिक परेशान करने वाला तथ्य सक्रिय मामलों का बढ़ना होता है। इन्हीं के कारण महामारी का प्रसार एक शख्स से दूसरे शख्स में होता है। वल्र्डोमीटर्स के अनुसार, देश में 17 सितंबर को सक्रिय मामले 10.18 लाख के करीब थे, जिनमें गिरावट आई है। अब ये मामले 9.50 लाख हो चुके हैं।
ऐसे समझिए आर वैल्यू को : रिप्रोडक्शन नंबर या आर वैल्यू महामारी को मापने की चाबी है। यह संकेत देता है कि कैसे आबादी में महामारी का प्रसार हो रहा है। भारत में महामारी की शुरुआत के बाद से यह पहला मौका है जब आर वैल्यू एक से नीचे आई है। दरअसल, आर वैल्यू यह बताता है कि कोई कोरोना संक्रमित व्यक्ति कितने सामान्य लोगों को संक्रमित कर रहा है। यानी संक्रमण का प्रसार कर रहा है।