भारत समेत दुनिया में गैर-कैथोलिक और कैथोलिक चर्च में यौन शोषण का मामला सुर्खियों में है। तीन महीने के अंतराल में दुष्कर्म की दो बड़ी घटनाओं ने देश को झकझोर कर रख दिया। दरअसल, कन्फेशन की आड़ में जिस तरह से चर्च में यौन दुर्व्यवहार के मामले सामने आ रहे हैं, उससे ईसाई समुदाय के समक्ष विश्वास का एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है। मामला केरल राज्य का है। तीन माह पूर्व यह मामला तब प्रकाश में आया जब एक महिला ने पादरी के सामने कन्फेशन के दौरान कहा कि 16 साल की उम्र से शादी होने तक एक पादरी उसका यौन उत्पीड़न करता रहा था। उक्त महिला का अारोप है कि केरल की एक चर्च के चार पुजारियों ने उसके साथ यौन उत्पीड़न और ब्लैकमेल किया। इस आरोप के बाद सरकारी मशीनरी हरकत में आई। आखिर क्या है कन्फेशन। आइए जानते हैं कन्फेशन और इसका बाइबिल लिंक। कन्फेशन के बाद राष्ट्रीय महिला आयोग ने क्या दिया सुझाव।
क्या होता है कन्फ़ेशन
बाइबिल के दूसरे अध्याय में कन्फ़ेशन का ज़िक्र मिलता है। दरअसल, इस कन्फ़ेशन की प्रक्रिया के दौरान यानी इसकी आड़ में कई बार चर्च/गिरजाघरों में दुष्कर्म की घटनाएं सामने आई है। आइए जानते हैं कि आखिर क्या है कन्फ़ेशन की प्रक्रिया। यह क्यों चर्चा में है। क्या है इसका बाइबिल लिंक।
2- चर्च में कन्फ़ेशन करने के लिए अलग स्थान तय होता है। इस स्थान पर कन्फ़ेशन करने वाला व्यक्ति और चर्च का पादरी जाता है। इन दोनों के बीच एक ‘डाइवर्जन’ होता है। जब कोई भी आदमी कन्फ़ेशन कर रहा होता है तो उस जगह पादरी के अलावा कोई तीसरा व्यक्ति मौजूद नहीं होता।
3- बाइबिल के दूसरे अध्याय में कन्फ़ेशन का ज़िक्र मिलता है। इसमें परमेश्वर कहते हैं कि जब सामान्य लोग रोजमर्रा के काम के लिए बाहर निकलते हैं तो वे कई अच्छे-बुरे कामों में शामिल हो जाते हैं, जितने भी पाप वो अपने जीवन निर्वाह के लिए करते हैं उनका प्रायश्चित करना बेहद ज़रूरी होता है। इसलिए परमेश्वर कहते हैं कि अपने पापों को ईश्वर का प्रतिनिधि मानते हुए चर्च के पादरी के सामने बताया जाए।
राष्ट्रीय महिला आयोग के अहम सुझाव
1- केरल के चर्च में रेप और यौन उत्पीड़न के बढ़ते मामलों की एक केंद्रीय एजेंसी के ज़रिए जांच करवानी चाहिए।