कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट आ सकती है। जेपी मॉर्गन का अनुमान है कि मार्च, 2027 तक ब्रेंट क्रूड 30 डॉलर प्रति बैरल तक गिर सकता है। इस संभावित गिरावट का कारण बढ़ती हुई अतिरिक्त आपूर्ति है, जो स्थिर मांग वृद्धि को दबा सकती है। अभी यह 60 डॉलर प्रति बैरल है। तीन वर्षों में तेल की खपत में वृद्धि के बावजूद आपूर्ति में वृद्धि विशेष रूप से गैर-ओपेक प्लस उत्पादकों से वैश्विक बाजार को प्रभावित करेगी। इससे कीमतों पर भारी असर पड़ेगा।
वैश्विक तेल मांग 2025 में बढ़कर 10.5 करोड़ बैरल रोजाना तक पहुंचने की उम्मीद है। 2026 में भी इसी गति से वृद्धि जारी रहेगी। 2027 में इसमें और तेजी आएगी। इस स्थिर वृद्धि के बावजूद जेपी मॉर्गन का अनुमान है कि 2025 और 2026 में आपूर्ति मांग की दर से तीन गुना बढ़ेगी। 2027 में आपूर्ति वृद्धि धीमी होने के बावजूद यह बाजार की जरूरी क्षमता से काफी ऊपर रहेगी। कच्चा तेल साल के अंत तक 50 डॉलर के निचले स्तर तक गिर सकता है। 2027 में औसतन 42 डॉलर के आसपास रह सकता है। हालांकि, पूरी गिरावट शायद न हो, लेकिन स्वैच्छिक व अनैच्छिक उत्पादन कटौती के जरिये पुनर्संतुलन होगा।
कंपनियों को होगा लाभ लेकिन ग्राहकों को नहीं
तेल आयात पर निर्भर रहने वाले भारत जैसे देशों को कम कच्चे तेल की कीमतों से आर्थिक लाभ मिल सकता है। हालांकि, ग्राहकों को इसका फायदा नहीं मिलेगा। दो वर्षों से कच्चे तेल की कीमतों में कई बार भारी गिरावट आई है, फिर भी देश में डीजल-पेट्रोल की कीमतें ऊंचे भाव पर हैं।
गैर ओपेक प्लस देश के बाहर से आएगा 50 फीसदी उत्पादन…
जेपी मॉर्गन ने कहा 2027 तक अपेक्षित अतिरिक्त आपूर्ति का आधा हिस्सा गैर ओपेक प्लस देश के बाहर से आएगा। ऑफशोर परियोजनाएं, जिन्हें कभी महंगी और चक्रीय माना जाता था, एक विश्वसनीय विकास स्रोत के रूप में विकसित हुई हैं। इनकी मांग भी ज्यादा हो रही है।
तेल के भंडार में जबरदस्त वृद्धि
उत्पादन में उछाल के कारण भारी मात्रा में भंडार जमा हो गया है। इस वर्ष वैश्विक तेल भंडार में 15 लाख बैरल रोजाना की वृद्धि हुई है। इसमें लगभग 10 लाख तेल-ऑन-वाटर और चीनी भंडारों में संग्रहीत है। इससे संभावित रूप से अधिशेष 2026 में 28 लाख बैरल और 2027 में 27 लाख बैरल रोजाना तक बढ़ सकता है।
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