मरवाही पेंड्रा क्षेत्र के मीठे जामुन की मिठास दिल्ली तक घुलती है। औषधि गुणों से भरपूर जामुन मौसमी फल है। इसे स्थानीय व्यापारियों के माध्यम से दिल्ली के अलावा झांसी व जबलपुर में बेचा जाता है। इससे ग्रामीणों को अच्छी खासी आमदनी होती है।

नए जिले के ग्राम भांड़ी, कोटमी, देवरीकला, रूमगा, मटियाडांड़, बस्तीबगरा समेत तीन दर्जन निजी भूमि और जंगलों में लगे जामुन के पेड़ों से पके हुए जामुन को तोड़कर ग्रामीण व्यापारियों को बेचते हैं। व्यापारियों द्वारा 300 से 400 रुपये कैरेट में जामुन खरीदा जाता है।
इसे ट्रेन या निजी वाहनों के माध्यम से बड़े शहरों में सप्लाई की जाती है। वहां इसे 700 से 800 रुपये कैरेट में खरीदा जाता है। यह व्यापारियों के लिए दुगुने मुनाफे का व्यवसाय है। इस व्यवसाय से व्यापारी वर्षों से जुड़े हुए हैं। इस कारोबार से ग्रामीणों को रोजगार भी मिल जाता है।
क्षेत्र के जामुन की मांग दिल्ली या अन्य बड़े शहरों में सिर्फ मुंह के स्वाद के लिए ही नहीं है बल्कि सबसे प्रमुख कारण उसका औषधि गुण होता है। जामुन भूख बढ़ाने, भोजन को पचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसको खाने से स्मरण शक्ति बढती है।
डायबिटीज के रोगियों के ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित करने के साथ शरीर की कमजोरी को भी दूर करती है। यह हृदय रोग समेत अन्य कई बीमारियों में भी लाभदायक होता है। लोग इसके गुठली को फेंकते नहीं बल्कि सुखाकर रख लेते हैं क्योंकि इसकी गुठली का पाउडर भी कई बीमारियों में लाभदायक होता है।
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