ब्रिस्बेन टेस्ट कमाल के मोड़ पर है. मैच के आखिरी दिन तीनों रिजल्ट संभव है. यानी मैच भारत जीत सकता है. ऑस्ट्रेलिया जीत सकता है या फिर ड्रॉ भी हो सकता है. लंबी सीरीज के आखिरी दिन रोमांच की भरपूर डोज मिलने वाली है. लेकिन ये टेस्ट मैच इस बात के लिए याद रखा जाएगा कि भारतीय गेंदबाजों ने कंगारुओं पर जमकर वार किया. जिन बाउंसर गेंदों से ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों ने भारत के पुछल्ले बल्लेबाजों को डराया था. उसी तरह की खतरनाक बाउंसर्स से भारतीय गेंदबाजों ने पलटवार किया.
दिलचस्प बात ये थी कि हर किसी को पता था कि आखिरी पारी में एक बार फिर भारत को ही बल्लेबाजी करनी है. एक बार फिर ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज अपनी शॉर्ट पिच से हमला करेंगे. लेकिन भारतीय टीम के गेंदबाजों ने इस बात के संभावित डर को नजरअंदाज करते हुए अपनी ताबड़तोड़ बाउंसर का कहर जारी रखा.
भूलना नहीं चाहिए कि इस सीरीज में ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाजों ने भारत के कई बल्लेबाजों को घायल किया है. लेकिन ब्रिस्बेन में भारतीय खिलाड़ियों पर इस बात का कोई डर नहीं दिखाई दिया. बल्कि उन्होंने भी जमकर हमला बोला. ऑस्ट्रेलिया के पुछल्ले बल्लेबाजों में पैट कमिंस क्रीज पर टिक गए थे. वो 28 रन पर नॉट आउट पवेलियन लौटे. उन्होंने 51 गेंद का सामना किया. लेकिन शार्दुल ठाकुर ने कमिंस को जमकर बाउंसर मारे. शार्दुल ठाकुर जब बल्लेबाजी कर रहे थे तो बाउंसर्स की शुरुआत कमिंस ने ही की थी.
चाय काल के बाद शार्दुल ने 84 फीसदी गेंदबाजी शॉर्ट की. उन्होंने न तो फुल लेंथ की गेंद फेंकी और न ही यॉर्कर. सिर्फ शॉर्ट पिच गेंद फेंकते रहे और ऑस्ट्रेलिया के पुछल्ले बल्लेबाजों को डराते रहे. उनका मकसद बहुत सीधा था. वो ये संदेश देना चाहते थे कि बाउंसर से उन्हें डराया नहीं जा सकता है. और अगर ऐसा करने की कोशिश कंगारू करेंगे तो उसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा.
लगातार शॉर्ट पिच गेंदबाजी की एक और वजह थी. पुछल्ले बल्लेबाज तकनीकी तौर पर दक्ष शॉट खेलने की बजाए तेजी से रन बटोरने की कोशिश करते हैं. उन्हें अगर फुल लेंथ की गेंद दी जाए तो वो उस पर शॉट्स लगाते हैं. जिस पर रन जुड़ते हैं.
भारतीय टीम की रणनीति थी कि पुछल्ले बल्लेबाजों को ज्यादा रन न जोड़ने दिया जाए. इसीलिए मोहम्मद सिराज और शार्दुल ठाकुर दोनों ही इसी रणनीति से गेंदबाजी कर रहे थे. सिराज ने भी अपने स्पेल में गिनी चुनी गेंद ही फुल लेंथ पर फेंकी. दोनों ही गेंदबाजों ने शॉर्ट पिच गेंदबाजी के लिहाज से फील्डिंग भी सेट की थी. गेंदबाजों ने ऑस्ट्रेलिया के पुछल्ले बल्लेबाजों को बैकफुट पर ढकेला. गेंद को उनके बल्ले से थोड़ा दूर रखा. यही वजह है कि कमिंस को छोड़कर बाकी पुछल्ले बल्लेबाज जल्दी जल्दी पवेलियन लौटे.