संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ) में पीडियाट्रिक एडवांस सेंटर का निर्माण जल्द शुरू किया जाएगा। यहां एक छत के नीचे बच्चों की विभिन्न बीमारियों का उपचार किया जाएगा। करीब 500 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस सेंटर में सुपर स्पेशियलिटी कोर्सेज की पढ़ाई होगी। सभी 24 विभागों में दो-दो सीटें होंगी। यहां हर साल 48 बाल रोग विशेषज्ञ तैयार किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर बच्चों को बेहतर इलाज की सुविधा दिलाने के लिए एसजीपीजीआइ में पीडियाट्रिक एडवांस सेंटर का निर्माण किया जाएगा। पहले फेज में बच्चों के उपचार के लिए यह केंद्र स्थापित किया जा रहा है। वहीं इसके दूसरे फेज में किशोर-किशोरियों से जुड़ी बीमारियों के उपचार के लिए केंद्र स्थापित किया जाएगा। एसजीपीजीआइ के निदेशक प्रो. आरके धीमन के मुताबिक अगले महीने इसके शिलान्यास की तैयारियां की जा रही हैं। इस सेंटर में बच्चों के इलाज के लिए विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। डाक्टरेट आफ मेडिसिन (डीएम) और मास्टर आफ चिरर्जिकल (एमसीएच) कोर्स की पढ़ाई कराई जाएगी। पीडियाट्रिक एडवांस सेंटर हर साल 48 विशेषज्ञ डाक्टर तैयार करेगा और इससे विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी भी दूर होगी।
इसकी कार्ययोजना तैयार करने की जिम्मेदारी एसजीपीजीआइ को दी गई है। एसजीपीजीआइ की टीम ने विभिन्न देशों में चल रहे ऐसे सेंटरों की सुविधाओं का अध्ययन कर कार्ययोजना तैयार की है। प्रदेश में बच्चों के उपचार की विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधा मुहैया करने के लिए एसजीपीजीआइ में पीडियाट्रिक एडवांस सेंटर खोला जाएगा। इसका निर्माण करीब 500 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा।
पीडियाट्रिक एडवांस सेंटर को विश्वस्तरीय बनाने का किया जा रहा प्रयासः एसजीपीजीआई के निदेशक प्रो. आरके धीमान ने कहा कि पीडियाट्रिक एडवांस सेंटर को विश्वस्तरीय बनाने का प्रयास किया जा रहा है। कोशिश है कि विकसित देशों में जैसी उपचार की सुविधा प्रदेश के बच्चों को भी मिले सके। परियोजना तैयार है। अगले माह शिलान्यास की तैयारी है। इसे दिसंबर तक तैयार करने का लक्ष्य है।
प्रतिवर्ष बच्चों के उपचार के लिए 48 विशेषज्ञ होंगे तैयारः नेशनल मेडिकल काउंसिल ने 24 विभागों में डीएम व एमएसी की दो दो सीटों में मान्यता होने से हर साल बच्चों के उपचार के लिए 48 विशेषज्ञ तैयार होंगे। इससे इन विधाओं से जुड़ी क्लीनिक भविष्य में मेडिकल कॉलेजों में भी शुरू हो सकेंगी। प्रोजेक्ट के दूसरे फेज में 12 से 18 साल की उम्र वाले किशोर-किशोरियों से जुड़ी बीमारियों के उपचार के लिए केंद्र बनेगा।
यह पूरी तरह से मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा होगा। उम्र बढ़ने के साथ किशोरों में होने वाले विभिन्न हॉर्मोनल बदलाव की समस्या का निस्तारण किया जाएगा। किशोरों के स्ट्रेस मैनेजमेंट, साइको सेक्सुअल डिस्ऑर्डर, साइकियाट्री एंड बिहैवियर एडिक्शन एक्शिन साइकियाट्री और किशोरियों के लिए गाइनी-साइकियाट्री क्लीनिक जैसी सुविधाएं दी जाएंगी।