एस जयशंकर ने वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट 2023 में कहा कि संयुक्त राष्ट्र 1945 में बनाया गया आविष्कृत तंत्र बनकर रह गया है। यह अपने सदस्य देशों की चिंता को स्पष्ट करने में बिल्कुल असमर्थ है। इसे वक्त के साथ बदलाव की जरूरत है।
भारत ने शुक्रवार को स्थायी जीवन शैली में निवेश की सुविधा के लिए ‘ग्रीन डेवलप्मेंट’ समझौते के लिए जी20 देशों के बीच आम सहमति बनाने की दिशा में काम करने का संकल्प लिया है। विदेश मंत्री ने विकासशील देशों के समक्ष कर्ज, व्यापार के क्षेत्र में बाधा, वित्तीय प्रवाह में कमी और जलवायु परिवर्तन के कारण संकट जैसी चुनौतियों का भी उल्लेख किया।
“1945 में बनाया गया आविष्कृत तंत्र” है संयुक्त राष्ट्र
संयुक्त राष्ट्र की ओर इशारा करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि ये “1945 में बनाया गया आविष्कृत तंत्र” है जो अपने सदस्य देशों की चिंताओं को स्पष्ट करने में बिल्कुल असमर्थ है। उन्होंने नई वैश्वीकरण की व्यवस्था बनाने की दिशा में सामूहिक रूप से काम करने का आह्वान किया और कहा कि अधिक लोकतांत्रिक व न्यायसंगत दुनिया केवल अधिक विविधीकरण और क्षमताओं के स्थानीयकरण पर ही बनाई जा सकती है।
रूस-यूक्रेन विवाद को लेकर उन्होंने कहा कि इसका प्रभाव पूरे विश्व में देखने को मिल रहा है। एस जयशंकर ने कहा कि इससे आर्थिक स्थिति और जटिल हो गई है क्योंकि ईंधन, भोजन और उर्वरक की लागत और उपलब्धता न हो पाना हम में से कई देशों के लिए एक गंभीर समस्या हो गई है। उन्होंने कहा, ” अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भलाई की बजाय कुछ देश बस अपने लाभ पर ध्यान केंद्रित करते रहे हैं” और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के हितों की अनदेखी की है।”
‘हरित विकास’ से विकासशील देशों को मिलेगी ताकत
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत अपनी जी20 अध्यक्षता के दौरान, जी20 नेताओं के हरित विकास समझौते पर आम सहमति बनाने के लिए प्रतिबद्ध होगा क्योंकि इससे आने वाले दशकों तक ‘हरित विकास’ को ताकत मिलेगी। उन्होंने ‘जी20 ऑफ द वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ समिट 2023’ के सत्र में कहा, “स्थायी जीवन शैली में निवेश, जलवायु कार्रवाई के लिए हरित हाइड्रोजन का लाभ उठाने और एसडीजी पर प्रगति में तेजी लाने के माध्यम से ही ऐसा संभव होगा।”
उन्होंने कहा “हम विकास के लिए डाटा पर चर्चा करेंगे क्योंकि बहुत से देश विकास के अलग-अलग स्तर पर है और यह सभी डाटा-संचालित जैसी नई पद्धति से जुड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार है। जयशंकर ने कहा कि विकासशील देशों को एक नए वैश्वीकरण की दिशा में सामूहिक रूप से काम करना चाहिए जो मानव जाति की सामूहिक भलाई के लिए होगा। उन्होंने कहा, “हम उनको गिराने की पूरी कोशिश करेंगे जो हमारे देशों के युवा और प्रतिभाशाली लोगों को दुनिया में मिलने वाले अवसरों तक पहुंचने में बाधा बनते हैं।
“सामूहिक प्रयास से पूरी होंगी सभी जरूरतें”
“हम खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा के लिए मौजूदा चुनौतियों का समाधान करने के लिए सामूहिक प्रयास करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि कमजोर समुदायों की मानवीय जरूरतों को बिना देरी के पूरा किया जाए।” अपने भाषण में विदेश मंत्री जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी पर भी गौर किया कि यह युद्ध का युग नहीं है। 16 सितंबर को उज्बेकिस्तान के समरकंद में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ एक बैठक के दौरान, मोदी ने कहा कि “आज का युग युद्ध का नहीं है” और रूसी नेता को यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने कहा, “चुनौतियां कितनी भी कठिन क्यों न हों, हमें एक साथ आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा, “हमें उस अंतर-निर्भरता और सहयोग को पूरी तरह से पहचानना चाहिए जो हमारे प्रेसीडेंसी (जी20) के आदर्श वाक्य द्वारा व्यक्त किया गया है: एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य। आपकी आवाजें इस पूरी प्रक्रिया में हमारा मार्गदर्शन और प्रेरणा करेंगी।