उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली के प्रदूषण पर सुनवाई की। अदालत ने केंद्र सरकार को निर्देश दिए कि वह प्रदूषण की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए दिल्ली में अलग-अलग स्थानों पर एयर प्यूरिफाइंग टावर लगाने का खाका तैयार करे। अदालत ने दिल्ली सरकार से यह बताने को कहा कि ऑड-ईवन से वायु प्रदूषण में कोई राहत मिली है या नहीं।
अदालत ने दिल्ली सरकार से पूछा, ‘दिल्ली बुरी तरह पीड़ित है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) आज भी लगभग 600 है। लोग सांस कैसे लेंगे?’ सरकार ने अदालत को बताया कि ऑड-ईवन योजना की वजह से प्रधूषण में 5-15 प्रतिशत की गिरावट आई है। यह परिणाम और बेहतर हो सकते हैं कि यदि इस योजना के तहत कोई छूट न दी जाए। पराली जलाना दिल्ली के प्रदूषण की असली दोषी है। पिछले साल ऑड-ईवन के प्रभाव को लेकर कोई शोध नहीं हुआ।
जिसपर अदालत ने कहा, ‘वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ऑड-ईवन समाधान नहीं हो सकता है।’ दिल्ली सरकार की तरफ से अदालत में पेश हुए वकील मुकुल रोहतगी ने कहा, ‘यदि ऑड-ईवन योजना के तहत मिली कुछ छूटों को हटा दिया जाए जैसे कि दोपहिया वाहनों को मिली छूट तो इससे मदद मिलेगी। हम इसे आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, अगर दुपहिया वाहनों को अनुमति नहीं दी जाएगी तो शहर में ठहराव आ जाएगा।’