पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने यस बैंक संकट के जरिए मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की है. चिदंबरम ने आरोप लगाया कि एनडीए राज में बैंक लोन में चार गुना इजाफा हुआ है.
नोटबंदी ने हालात को और बिगाड़ दिया है. उन्होंने पूछा कि क्या यह सही है कि एसबीआई यस बैंक में निवेश का अवसर तलाश रही है? एसबीआई को यस बैंक में निवेश क्यों करना चाहिए?
पी. चिदंबरम ने कहा, ‘वास्तविक डेट अब उपलब्ध हैं. मार्च 2014 के अंत में लोन 55,633 करोड़ रुपये था, जो मार्च 2019 के अंत बढ़कर 2,41,499 करोड़ रुपया हो गया है.
मार्च 2017 के अंत में यह आंकड़ा 1.48,675 रुपये था, जो बढ़कर मार्च 2019 के अंत में 2,41,499 हो गया. नोटबंदी के बाद लोन ने छलांग लगाई है.’
ट्विटर पर पी. चिंदबरम ने लिखा, ‘मैं समझता हूं कि वित्त मंत्री ने यूपीए पर आरोप लगाते हुए एक बयान दिया है, अज्ञानता में जीने वाली सरकार के लिए यह सामान्य है, क्या वित्त मंत्री को मेरे द्वारा ट्वीट किए गए नंबरों की जानकारी है? अगर है, बताएं कि कैसे लोन बुक पांच साल में 55,633 करोड़ रुपये से बढ़कर 2,41,499 करोड़ हो गया?’
पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिंदबरम ने मांग की कि एसबीआई को यस बैंक का लोन बुक ले लेना चाहिए, चाहे वह एक रुपया का हो. लोन की वसूली करनी चाहिए और साथ ही जमाकर्ताओं को आश्वासन देना चाहिए कि उनका पैसा सुरक्षित रहेगा और वापस आ जाएगा.’
देश के चौथा सबसे बड़ा निजी बैंक यस बैंक संकट में है. संकट से उबारने के लिए कल रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने कुछ कदमों का ऐलान किया तो बैंक के खाताधारकों में हड़कंप मच गया है.
एक महीने के लिए बैंक से पचास हजार रुपये से ज्यादा रकम निकालने पर रोक लगा दी गई है. इससे एटीएम पर पैसा निकालने वालों की लंबी कतार लग गई है.
इस बीच मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने कहा है कि खाताधारकों को डरने की जरुरत नहीं है. किसी को कोई नुकसान नहीं होगा.
उधर, इस खबर के बाद शहर-शहर यस बैंक के एटीएम पर पैसा निकालने के लिए अफरातफरी है. कई जगहों पर एटीएम में पैसे की किल्लत हो गई है. पूरे घटनाक्रम का असर यस बैंक के शेयर पर भी पड़ा है. यस बैंक के शेयर में भारी गिरावट दर्ज की गई है.