अवधेश चौहान, जम्मू। जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर स्थित नगरोटा सैन्य शिविर में फिदायीन हमले की जांच संभालने के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) के इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस मुकेश सिंह और एसपी रैंक के मुख्य जांच अधिकारी राकेश शर्मा ने गुरुवार को घटनास्थल का दौरा किया। उन्होंने हमले के सभी पहलुओं की बारीकी से पड़ताल की। अधिकारियों ने सैन्य शिविर में आतंकी हमले के चश्मदीद के बयान भी दर्ज किए। इस दौरान टीम ने मारे गए आतंकियों से बरामद सामान और उनकी पाकिस्तानी आकाओं से बातचीत के टेप भी अपने कब्जे में ले लिए। मुठभेड़ के दौरान आतंकियों द्वारा इस्तेमाल किए गए गोला-बारूद के सुबूतों को भी सेना ने एनआइए के अधिकारियों को सौंप दिया।
राज्य के फॉरेंसिक लैब के बैलेस्टिक एक्सपर्ट ने इन गोला बारूद से निकले छर्रो और गोलियों को एकत्रित किया था। एनआइए इन सुबूतों को जांच के लिए एफएसएल लेबोरेटरी हैदराबाद या दिल्ली भेजेगी। इसके अलावा आतंकियों के जीपीएस सिस्टम की भी जांच होगी, जिससे घुसपैठ से लेकर सैन्य शिविर में हमले की महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध होंगी। एनआइए की टीम ने आतंकी हमले के संदर्भ में नगरोटा पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआइआर में नया पर्चा नंबर एनआइए/डीएलआइ16/2016 दर्ज किया। इस नई एफआइआर को दिल्ली एनआइए दफ्तर में जमा करवाया गया। इससे पूर्व इस एफआइआर को एनआइए के आइजी मुकेश सिंह ने जम्मू में बनी स्पेशल एनआइए जज किशोर कुमार की अदालत में पेश किया। किसी भी मामले में दर्ज एफआइआर को संबंधित कोर्ट में दर्ज करवाना होता है।
सेना ने 29 नवंबर को ही नगरोटा पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करवाई थी। उस समय फाय¨रग चल रही थी। तब पुलिस ने आतंकियों के खिलाफ आरपीसी की धारा 121, 307, 7/27 के तहत मामला दर्ज किया था। इसमें धारा 121 देशद्रोह, धारा 307 हत्या का प्रयास और 7/27 शामिल थे। हालांकि मुठभेड़ खत्म होने के बाद सेना ने लश्कर के तीनों आतंकवादियों को मार गिराया था, जबकि सेना के दो मेजर सहित सात जांबाज शहीद हो गए थे।