एक सेकंड में 250 फायर करेगी अमेरिकी रिबन गन, एकसाथ निकलेंगी चार गोलियां

नई दिल्‍ली (जागरण स्‍पेशल)। जिस देश में हथियार रखना बुनियादी अधिकार है, वहां बंदूकों को लेकर एक से बढ़कर एक प्रयोग होते रहते हैं। हॉलीवुड फि‍ल्‍मों में हमने देखा है कि किस तरह इलेक्‍ट्रोनिक बंदूकों के साथ अंतरिक्ष में फायरिंग होती है। ठीक उसी तरह अमेरिका की एक कंपनी ने रिबन गन बनाई है। यह बंदूक एक बार में चार गोलियां फायर कर सकती है। इतना ही नहीं, प्रति सेकंड 250 राउंड फायरिंग हो सकती है। इसका ट्रिगर भी अलग होगा, जिसे स्‍ट्राइकर नाम दिया गया है।अमेरिकी सेना अभी इसका परीक्षण कर रही है। अमेरिका के शहर कोलोराडो स्थित एफडी म्‍यूनिशन ने इस गन का निर्माण किया है। अमेरिकी सेना अभी इसका परीक्षण कर रही है। कंपनी को उम्‍मीद है कि सेना इसे अपने आधुनिक हथियारों की श्रेणी में जरूर शामिल करेगी। 2019 के माध्‍यम से इसका उत्‍पादन शुरू हो जाएगा। इसमें अलग प्रकार की गोलियों की आवश्‍यकता नहीं होगी। इसमें सिंगल शेल केसिंग के बजाय गोलियों को चार गोलाकार खांचों वाले एक ब्‍लॉक में डाला जाता है। यह खांचे एक सिधाई में छह एमएम की मोटाई वाले चार बैरल से जुड़े हैं। 

इस तरह काम करती है बंदूक 

अब तक जो बंदूक मार्केट में हैं,उनमें ट्रिगर एक मैकेनिकल ट्रिगर पिन से जुड़ा होता है। यह गनपाउडर को आग लगाता है और बुलेट को आगे की तरफ धकेलता है। रिबर गन में ट्रिगर एक इलेक्‍ट्रोनिक स्विच के रूप में काम करता है, जो गोलियों के ब्‍लॉक के पीछे से सिग्‍नल भेजता है। इससे शूटर अलग-अलग या एकसाथ फायर कर सकता है। 

आधुनिक गनों का यह फ्यूचर, सिविलियन को मिल सकती है  

जहां तक इस बंदूक के सिविलियंस को मिलने की बात है तो आपको बता दें कि अमेरिका में व्‍यापक हुए गन कल्‍चर की वजह हर वर्ष सैकड़ों लोगों की जान चली जाती है। इसी साल फरवरी में फ्लोरिडा के एक हाईस्कूल में हुई गोलीबारी में 17 लोग मारे गए थे।  हमलावर स्कूल का ही एक पूर्व छात्र था। इससे पिछले साल अक्टूबर में लास वेगास में हुई गोलीबारी में 58 लोगों की मौत हो गई थी। जून 2016 में ऑरलैंडो में हुई गोलीबारी में 50 लोग मारे गए थे। इसमें 19 साल के एक हमलावर ने एक गे नाइट क्लब में अंधाधुंध गोलियां चलाई थीं।

दुनिया में सबसे ज्‍यादा गोलीबारी की घटनाएं
सरेआम गोली चलाने के मामले में अमेरिका सबसे आगे है। वर्ष 2012 में इनकी दर 29 फीसद थी। दिसंबर 2012 में एक स्‍कूल में हुई घटना के बाद अमेरिका में अब तक 998 वारदात हो चुकी हैं। इनमें 1200 लोग मारे जा चुके हैं। चार हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। ऐसे सैकड़ों मामले हैं,जिनके केस दर्ज नहीं होते।

खुदकशी के केस तो बढ़ते ही जा रहे
अपने हाथ में बिना किसी रोक-टोक के हथियार होने की वजह से खुदकशी की घटनाएं तो बढ़ती ही चली जा रही है। ऐसा देखा गया है कि छोटे से तनाव के बाद अमेरिकी खुद को गोली से उड़ा देते हैं। पत्‍नी से झगड़ा हुआ तो गोली चला ली, बच्‍चों ने कोई बात नहीं मानी तो गोली चला ली। आर्थिक मंदी के दिनों में सुसाइड के केस ज्‍यादा हुए। वर्ष 2013 में 21 हजार से ज्‍यादा लोगों ने खुदकशी की थी। 

जब ओबामा भी कुछ नहीं कर सके
अमेरिका के पूर्व राष्‍ट्रपति बराक हुसैन अबामा ने हथियारों पर रोक लगाने के लिए काफी प्रयास किए लेकिन अमेरिकन इस मसले पर एकजुट नहीं थे। यही वजह थी कि संसद में उनकी एक नहीं चली। अमेरिकी समाज में बंदूक संस्‍कृति की जड़ें काफी गहरी हो चुकी हैं। एक कॉलेज में गोलीबारी होने के बाद ओबामा ने कहा था, मैंने कुछ महीने पहले कहा था, उससे कुछ महीने पहले भी कहा था और हर बार जब हम गोलीबारी की घटना देखेंगे तो दोबारा कहूंगा। इससे निपटने के लिए हमारा सोचना या प्रार्थना करना ही काफी नहीं है।

हर बार प्रस्‍ताव गिरते गए रहे, हथियार लॉबी जीतती रही 
जब-जब अमेरिका में सिविलियन द्वारा गोली चलाए जाने की घटना घटित होती है, तब-तब शस्‍त्र नियंत्रण पर बहस छिड़ जाती है। बात तो संसद तक भी पहुंची लेकिन हर बार विफलता ही मिली। अमेरिकी संसद ने एक बार चार प्रस्‍ताव भी पेश किए लेकिन चारों ही प्रस्‍ताव गिर गए। इसके लिए जरूरी 60 वोट भी हासिल नहीं किए जा सके।  यहां पर आपको बता दें कि यहां पर बंदूक रखना बेहद आसान है। इसके लिए कोई विशेष नियम नहीं है। अलग-अलग प्रांतों में कुछ नियम तो बनाए हैं लेकिन हथियार रखने में ज्‍यादा अड़चन नहीं आती।

हथियार समर्थक लॉबी करती है काम 
अमेरिका में हथियार समर्थक लॉबी बेहद मजबूत है। इसकी पैंठ इतनी है कि ये चुनाव में नेताओं को फंडिंग करती है। इनके पसंदीदा नेता जब जीत जाते हैं, तब वे सीनेट में हथियार विरोधी प्रस्‍ताव को पास नहीं होने देते। नेशनल राइफल एसोसिएशन (एनआरए) सबसे बड़ी लॉबी है। इसका कहना है कि, बंदूकें किसी को नहीं मारतीं, लोग एक-दूसरे को मारते हैं।  सदस्यों की संख्या 70 लाख से ज्‍यादा है, इस वजह से सियासी हालात में इसका वजन ज्‍यादा है। इसने बाकायदा एक पॉलिटिकल विक्ट्री फंड बना रखा है।

इसलिए हथियारों से लगाव, अलास्‍का में तो खुली छूट  
यूएसए में गन कल्‍चर बेहद पुराना है। ब्रिटेन से आजादी की जंग में हथियारों के साथ लड़े सेनानियों के किस्‍से यहां सुनाए जाते हैं। तब गर्व से कहा जाता है कि अगर आपके पास हथियार हैं तो आप राष्‍ट्र की रक्षा कर सकते हैं। गौरव की निशानी बन जाने से हथियारों को हटा पाना मुश्किल हो गया है। नागरिक अधिकारों को परिभाषित करने के लिए दिसंबर 1791 में अमेरिकी संविधान में दूसरा संशोधन रखा गया था। बंदूक को बुनियादी अधिकार माना गया। कहा गया, राष्ट्र की आजादी के लिए हमेशा संगठित लड़ाकों की जरूरत होती है। हथियार रखना और उसे लेकर चलना नागरिकों का अधिकार है। अमेरिका के पहले राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन का कहना था कि बंदूक अमेरिकी नागरिक की आत्मरक्षा और उसे राज्य के उत्पीड़न से बचाने के लिए जरूरी है। अमेरिका के अलग-अलग प्रांतों में कुछ नियम तो है लेकिन सभी संविधान के दूसरे संशोधन का सम्‍मान करते हैं। अलास्‍का में तो इतनी छूट है कि बेचने वाला खरीदार से कोई पूछताछ तक नहीं करता।

यह दावा किया जा रहा है कि यह गन, अब तक के सभी बंदूक जैसे हथियारों से बेहतर होगी। इससे लोडिंग जैसी समस्‍याएं दूर हो जाएंगी। इसका साइज अन्‍य गनों से छोटा होगा और वजन में भी यह दूसरों के मुकाबले काफी हल्‍की होगी। इस बंदूक का पेटेंट 2016 में कराया गया था। 2019 में यह बंदूक सेना को दी जा सकती है। अगस्‍त में इसका निर्माण शुरू होगा। कहा जा रहा है कि भविष्‍य में यह बंदूक सिविलियंंस को भी मिल सकती है। कंपनी देख रहे मा‍लिक ग्रायर का कहना है कि गन का यही फ्यूचर है। उन्‍होंने अपनी तरफ से इस पर पांच लाख डॉलर का इनवेस्‍ट किया है। इसके अलावा निवेशकों का भी पैसा लगा है। 

अमेरिका में गोलीबारी आम हो चुकी

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com