निर्माता-निर्देशक राज कपूर को हिंदी सिनेमा अपने अहम योगदान के लिए हमेशा याद करता आया है और करता रहेगा। वह एक बेहतरीन कलाकार होने के अलावा शानदार फिल्मकार भी थे। राज कपूर की फिल्मों और कलाकारी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके प्रशंसक केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में आज भी मौजूद हैं।
राज कपूर को सोवियत यूनियन, चीन और अफ्रीका सहित कई देशों में खूब पसंद किया गया था। यही वजह थी जो उन्हें बॉलीवुड का शोमैन कहा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं राज कपूर को हिंदी सिनेमा में इतना बड़ा नाम बनाने में एक थप्पड़ का कमाल था ? बात साल 1942 की है, मुंबई के रंजीत स्टूडियोज में निर्माता-निर्देशक केदार शर्मा अपनी फिल्म ‘विषकन्या’ की शूटिंग कर रहे थे। उस समय केदार शर्मा और राज के पिता पृथ्वीराज कपूर काफी अच्छे दोस्त थे। दोनों एक दूसरे के सुख-दुख की बातें भी साझा करते रहते थे।
‘विषकन्या’ की शूटिंग के दौरान केदार शर्मा ने इस बात को नोटिस किया कि पृथ्वीराज कपूर जब भी शूटिंग के लिए सेट पर पहुंचते तो वह बहुत उदास रहते थे। शूटिंग के पहले और बाद में भी गुमसुम रहते थे। पृथ्वीराज कपूर ने सेट पर किसी से बातचीत नहीं करते थे। उनकी इन बातों को केदार शर्मा लगातार नोटिस कर रहे थे लेकिन पृथ्वीराज कपूर से पूछ नहीं पा रहे थे। एक दिन उन्हें मौका मिल ही गया। पृथ्वीराज कपूर शॉट देने के बाद सेट के एक कोने में जाकर बैठ गए। केदार शर्मा उनके पास पहुंचे, उनका हाथ पकड़कर बोले कि अगर ज्यादा निजी न हो तो क्या मैं आपकी उदासी की वजह जान सकता हूं। मुझे लगता है कि आप किसी खास वजह से काफी परेशान हैं। आप मुझ पर भरोसा रखकर उदासी की वजह बताइए, मैं उसको दूर करने की कोशिश करूंगा।
केदार शर्मा की यह बात सुनकर पृथ्वीराज कपूर भावुक हो गए और जोर से केदार का हाथ पकड़कर बोले, ‘केदार! मैं अपने बेटे राजू (राज कपूर) को लेकर बहुत चिंतित हूं। किशोरावस्था की उलझनों में वह मुझे भटकता हुआ लग रहा है, मैंने उसको पढ़ने के लिए कॉलेज भेजा लेकिन वहां पढ़ाई से ज्यादा वह लड़कियों में खो गया है।’ इतना बोलकर पृथ्वीराज कपूर चुप हो गए। इस पर केदार शर्मा ने पृथ्वीराज कपूर के कंधे पर हाथ रखकर कहा, ‘अपने बेटे को मुझे सौंप दो लेकिन एक वादा करो कि मेरे और उसके बीच दखलअंदाजी नहीं करोगे। मैं उसको रास्ते पर ले आऊंगा, ठीक उसी तरह जिस तरह से कोई गुरू अपने चेले को लेकर आता है। मैं उसको अपना असिस्टेंट डायरेक्टर बनाने के लिए तैयार हूं।’
यह सुनकर पृथ्वीराज कपूर का दुख कुछ कम हुआ। अगले दिन वह अपने बेटे राज कपूर को लेकर केदार शर्मा के पास पहुंच गए। कपूर खानदान की परंपरा के मुताबिक राज कपूर ने केदार शर्मा के पांव छूकर आशीर्वाद लिया। इसके बाद उन्होंने केदार शर्मा के साथ काम करना शुरू किया। फिल्म ‘विषकन्या’ की शूटिंग के दौरान ही राज कपूर का चेहरा कैमरे के सामने आ गया। इस गलती को ठीक करने की जल्दबाजी में उनका क्लैपबोर्ड उस सीन को करने के बीच में अभिनेता की दाढ़ी में फंस गया, जिस वजह से किरदार की दाढ़ी ही निकल गई।
यह देख केदार शर्मा बुरी तरह से भड़क गए। उन्होंने राज कपूर को अपने पास बुलाया और उन्हें जोरदार थप्पड़ जड़ दिया। हालांकि केदार शर्मा ने बाद में इस थप्पड़ के लिए काफी अफसोस जताया था। अपनी इस गलती को सुधारने के लिए केदार शर्मा ने साल 1947 में आई अपनी फिल्म ‘नीलकमल’ के लिए राज कपूर को साइन कर लिया था। फिर यहीं से उन्होंने अपने अभिनय और निर्देशन से इतना नाम कमाया की वह हिंदी सिनेमा के शोमैन बन गए।