सरकार का यह कदम आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल के लिए एक बेहतरीन मौका है, जो अपने मौद्रिक नीति के निर्णयों के साथ बाजार को आश्चर्यचकित कर चुके हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कदम के मद्देनजर संचार की कमी के लिए वो आलोचनाओं का भी सामना कर चुके हैं। नोटबंदी के फैसले के कारण देश में प्रचलित 86 फीसद करेंसी 8 नवंबर की देर शाम से ही अमान्य हो गई थी।
पटेल ने पूर्व गवर्नर के उस काम को आगे बढ़ाया है, जिसमें राजन ने उधारदाताओं को पहचानने और क्रेडिट के प्रावधानों को बढ़ाए जाने पर जोर दिया था। साथ ही राजन ने जिस बैड लोन की स्थापना की वकालत की थी उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से भी सहमति जताई जा चुकी है।
इसके अलावा संशोधन पटेल को अनुमति देते हैं, जिन्होंने येल विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है, कि वो बकाया कर्ज के खिलाफ प्रक्रिया में तेजी ला सकें जिससे कि भारत के निवेश चक्र को पुनर्जीवित करने और नौकरियों के सृजन में मदद मिलेगी। गौरतलब है कि हाल ही में सरकार ने बैड लोन से जुड़ी समस्या को निपटाने के लिए आरबीआई को ज्यादा अधिकार दिए हैं।