उन्नाव के चर्चित माखी कांड में विधायक कुलदीप सेंगर को दिल्ली की कोर्ट ने दोषी करार दिया है। विधायक कुलदीप सेंगर ने कई दल बदलकर अबतक का राजीनीतिक सफर तय किया था। उनके परिवार के कई सदस्य भी राजनीति से जुड़े रहे और प्रमुख पदों पर भी रहे। वर्ष 2017 में विधायक कुलदीप सेंगर के खिलाफ युवती का अपहरण कर सामूहिक दुष्कर्म का मामला दर्ज हुआ तो राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई थी।
विधायक कुलदीप सिंह सेंगर दल बदलने में माहिर रहे। कई पार्टियों में रहने के बाद 2017 में भाजपा में शामिल हो गए थे। पहली बार 2002 में बसपा की टिकट पर उन्नाव सदर से विधायक बने थे। इसके बाद 2007 में बसपा का दामन छोड़ा और समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे। सपा की टिकट पर बांगरमऊ विधानसभा से चुनाव लड़कर विधायक बन गए थे। वर्ष 2012 में फिर कुलदीप ने भगवंतनगर सीट से समाजवादी पार्टी की टिकट पर चुनाव और जीत हासिल की थी। इसके बाद वर्ष 2017 में कुलदीप ने फिर अपना रंगा दिखाया और सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए।
भाजपा ने बांगरमऊ से टिकट दिया तो कुलदीप चुनाव जीतकर फिर विधानसभा पहुंच गए। लगातार चार बार से विधायक रहे कुलदीप पर जब अपहरण कर दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज हुआ तो मामला सुर्खियों में आ गया। राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मच गई, बाद में उनकी गिरफ्तारी हुई और उन्हें जेल भेज दिया गया। बीते वर्ष रायबरेली में दुष्कर्म पीडि़ता की कार का एक्सीडेंट होने पर फिर मामला सुर्खियों में आया तो भाजपा ने विधायक को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। कुलदीप सेंगर की क्षेत्र में छवि एक बाहुबली की रही है। उनका परिवार राजनीति से जुड़ा रहा। उनकी पत्नी जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं तो भाई की पत्नी ग्राम प्रधान रहीं।