उत्तराखंड विधानसभा का सत्र तीन दिन में 11 घंटे 16 मिनट चला

विधानसभा का वर्ष का दूसरा सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया। सोमवार से शुरू हुआ यह सत्र कुल 11 घंटे 16 मिनट तक चला। सत्र के दूसरे दिन यानी मंगलवार को सबसे अधिक पांच घंटे व 29 मिनट तक सदन की कार्यवाही चली। सत्र में इस बार कुल 716 प्रश्न लगाए गए थे। इनमें 164 तारांकित प्रश्न स्वीकार किए गए और इनमें से 30 का जवाब दिया गया। कुल 503 अतारांकित प्रश्न स्वीकार किए गए, जिनमें से 156 का उत्तर दिया गया। इस बार एक भी अल्पसूचित प्रश्न नहीं आया। कुल 49 प्रश्न अस्वीकार किए गए और 16 निरस्त हुए। 

पत्रकारों से बातचीत में विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने बताया कि तीन दिवसीय इस सत्र में नियम 105 के दो प्रस्ताव आए। कुल 19 याचिकाएं प्रस्तुत की गईं और सभी स्वीकार हुई। ध्यानाकर्षण के 21 प्रस्ताव पेश किए गए। नियम 53 के तहत 25 सूचनाएं प्राप्त हुई जिसमें दो स्वीकृत हुए और 13 को ध्यानाकर्षण के लिए स्वीकार किया गया। नियम 58 के तहत नौ सूचनाएं प्राप्त हुई। सबको ग्राह्यता सुना गया। नियम 310 की एक सूचना मिली, जिसे नियम 58 की ग्राह्यता पर सुनने को मंजूर किया गया। उन्होंने बताया कि पहले दिन सदन चार घंटे 40 मिनट, दूसरे दिन पांच घंटे 29 मिनट और तीसरे दिन एक घंटे व सात मिनट तक चला। उन्होंने कहा कि दूसरे दिन प्रश्नकाल में सभी प्रश्नों के उत्तर आए। यह 11वीं बार ऐसा हुआ है जब सभी प्रश्नों के जवाब दिए गए हैं। सत्र के दौरान उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक और उत्तराखंड पंचायती राज (संशोधन) विधेयक भी पारित किया गया। उन्होंने सत्र के सफलतापूर्व चलने के लिए सभी विधायकों, अधिकारियों व कर्मचारियों को धन्यवाद दिया है।

कार्यवाही बाधित होने पर सरकार व विपक्ष आमने-सामने-   विधानसभा सत्र के तीसरे और अंतिम दिन सदन की कार्यवाही न चलने पर सत्ता पक्ष व विपक्ष ने एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराया है। सरकार की ओर से कहा गया कि कांग्रेस ने नियमों के विपरीत सदन में चर्चा की मांग की। कांग्रेस ने कहा कि जिस स्टिंग की वे बात कर रहे हैं उसमें नेता सदन के करीबियों का नाम सामने आ रहा है। आबकारी नीति पर इसका असर देखा गया।

सदन की कार्यवाही में हुए व्यवधान को लेकर सरकार व कांग्रेस ने एक दूसरे पर निशाना साधा। कार्यकारी संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि विपक्ष के कहने पर ही सदन की अवधि तीन दिन तक बढ़ाई गई थी। विपक्ष ने सदन चलाने व जनहित के प्रश्न लगाने में कोई रुचि नहीं ली और पूरा ध्यान हंगामे पर केंद्रित रखा। अंतिम दिन सदन में ऐसे विषय को लेकर आए जो न्यायालय में विचाराधीन है। 

कार्यसंचालन नियमावली व विभिन्न परंपराओं को देखते हुए ऐसे विषयों पर सदन में चर्चा नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष ने भी इसे स्वीकार किया, लेकिन उनके साथी सदस्यों ने उनकी बात नहीं मानी। विपक्ष एक भी गंभीर मुद्दा लेकर नहीं आया। कानून-व्यवस्था को लेकर बीते रोज सदन में जब विषय रखे जा रहे थे तो विपक्षी दल कांग्रेस के विधायक सदन से उठ कर चले गए। कार्यकारी संसदीय कार्य मंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि असरकारी दिवस पर भी विपक्ष ने एक भी जनहित का मुद्दा नहीं उठाया।  

उप नेता सदन करण माहरा ने कहा कि जब संसदीय कार्य मंत्री ने वीडियो देखा ही नहीं तो फिर वह कैसे कह सकते हैं कि यह मामला हाईकोर्ट में चल रहा है। यह अलग मसला है। जो स्टिंग उन्होंने सदन में रखा, उसमें मुख्यमंत्री के नजदीकी लोग एक बार मालिक से बार की फीस घटाने के बारे में बात कर रहे हैं। इसके ठीक 22 दिन बाद फीस घटाने के आदेश भी हो जाते हैं। यह सीधा-सीधा भ्रष्टाचार का मामला है, जिस पर चर्चा होनी जरूरी थी। सरकार का काम है कि विपक्ष जो आरोप लगाता है उस पर स्थिति स्पष्ट करे, लेकिन सरकार चर्चा से बचती रही। 

मध्याह्न भोजन कुकिंग दरों में किया इजाफा-  केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने मध्याह्न भोजना योजना में कुकिंग कॉस्ट की दरों का दोबारा निर्धारण करते हुए केंद्रांश व राज्यांश के अनुपात में करीब तीन फीसद की वृद्धि की है। राज्य सरकार ने भी नई दरें प्रभावी करते हुए सभी प्रारंभिक जिला शिक्षा अधिकारियों को आदेश जारी किए हैं। नई दरें एक जुलाई से प्रभावी होंगी। 

वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए कुकिंग मूल्य मद की दरों को पुनर्निर्धारित किया गया है। वर्तमान दरों को 90:10 (केंद्रांश: राज्यांश) के अनुपात में 3.09 फीसद की वृद्धि के साथ निर्धारित किया गया है। प्राथमिक में नई दरें 4.48 रुपये प्रति छात्र और उच्च प्राथमिक में 6.71 रुपये प्रति छात्र तय की गई हैं। उत्तराखंड सभी के लिए शिक्षा परिषद राज्य परियोजना निदेशक आर मीनाक्षी सुंदरम ने नई दरें लागू करने के संबंध में सभी जिलों में जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा को आदेश जारी किया है।

मैं धरने पर बैठ जाऊंगा-   विपक्ष के हंगामे के दौरान विधायक देशराज कर्णवाल ने कहा कि कई अहम प्रश्न लगे हैं, लिहाजा विपक्ष सदन को चलने दे। साथ ही कहा कि यदि विपक्ष ने ऐसा नहीं किया तो वे नेता प्रतिपक्ष के दफ्तर के बाहर धरने पर बैठ जाएंगे। 

उनके दाग क्या दिखेंगे भला, जिनके लिबास ही काले हैं-  विधानसभा सत्र के अंतिम दिन सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों के बीच एक-दूसरे के खिलाफ शब्दबाण खूब चले। इसी दौरान विधायक महंत दिलीप रावत ने विपक्ष की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘जो मेरे सफेद दामन पर, चंद दाग दिखाने वाले हैं, उनके दाग क्या दिखेंगे भला, जिनके लिबास ही काले हैं।

आप भी दो ही बढ़कर आए हो-   विपक्ष जब सरकार पर हमलावर हो रहा था, तब सत्ता पक्ष के कई विधायकों ने विपक्षी कांग्रेस पर हमला बोला। विधायक राजेश शुक्ला ने कहा कि कांग्रेस को किसी पर विश्वास नहीं, इसीलिए उसकी दुर्गति हुई है। यही हाल रहा तो सदस्य संख्या के लिहाज से दो पर आ जाएगी। इस पर उपनेता प्रतिपक्ष करन माहरा ने तपाक से टिप्पणी की कि आप भी दो से ही बढ़कर इतनी संख्या में आए हो।

 

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