उत्तराखंड के किसी भी सीएम ने आज तक ये नहीं किया जो सोमवार को सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कर दिया। उनके इस कदम के बाद हर तरफ यह बात चर्चा का विषय बनी हुई है।
गैरसैंण सत्र में शरीक होने के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत सोमवार की सुबह सड़क मार्ग से रवाना हुए। ऐसा करके वे राज्य गठन के बाद सड़क मार्ग से जाने वाले पहले मुख्यमंत्री के तौर पर भी शुमार हो गए।
मुख्यमंत्री के साथ ही सभी मंत्री और विधायक भी सड़क के रास्ते ही गैरसैंण पहुंचे। रास्ते में उन्होंने श्रीनगर में चौरास पुल का लोकार्पण किया और ऑलवेदर रोड के कार्यों का स्थलीय निरीक्षण भी किया। इसके अतिरिक्त जनता से संवाद भी किया। संबंधित क्षेत्रों में लोगों ने सीएम का जोरदार स्वागत भी किया।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने ऋषिकेश से कीर्तिनगर तक ऑलवेदर रोड के विभिन्न संवेदनशील स्थलों नीरग, साकणीधार, मुल्यागांव आदि में निरीक्षण के दौरान संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि इन स्थानों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएं, ताकि सड़क दुर्घटनाओं से बचा जा सके।
उन्होंने ऑलवेदर रोड के कार्यों पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि इसके बन जाने से यात्रियों को आवागमन में सुविधा होने के साथ ही पर्यटकों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी होगी। इससे इस क्षेत्र के लोगों को रोजगार के साधन उपलब्ध होंगे।
इसके साथ ही स्थानीय उत्पादों के व्यवसायीकरण की सुविधा भी मिलेगी। उन्होंने कहा कि राज्य के सीमांत क्षेत्रों को जोड़ने के लिए भारतमाला परियोजना के अंतर्गत 13 हजार करोड़ की लागत से सड़कों का निर्माण किया जाएगा, जिससे सीमांत क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के अलावा सैनिकों को भी आवागमन की सुविधा मिल सकेगी।
मुख्यमंत्री ने श्रीनगर में 3637.43 लाख की लागत से निर्मित चौरास पुल का लोकार्पण एवं श्रीनगर व चौरास पुल को जोड़ने के लिए नौ करोड़ 41 लाख 36 हजार की लागत से दो किमी सड़क का शिलान्यास भी किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पुल तथा मोटर मार्ग के बन जाने से गढ़वाल विश्वविद्यालय परिसर चौरास में आने वाले छात्रों को सुविधा होगी। वहीं इस क्षेत्र के विकास में भी मदद मिलेगी तथा स्थानीय लोगों को भी आवागमन की सुविधा होगी। मुख्यमंत्री ने कौढियाला स्थित गंगा क्षेत्र में पर्यटन विभाग तथा मूल्या गांव में ऑलवेदर रोड की कार्यदायी संस्था को व्यू प्वाइंट बनाने के भी निर्देश दिए।
इस अवसर पर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि बद्रीनाथ व केदारनाथ तक के पहुंच मार्ग के अंतर्गत 44 संवेदनशील स्थानों को चिह्नित किया गया है, जहां पर यातायात को सुचारू करने के लिए 40 जेसीबी तैनात रहेंगी। इनके फोन नंबर आपदा नियंत्रण कक्ष व जिला प्रशासन के पास उपलब्ध रहेंगे। उन्होंने कहा कि ऑलवेदर रोड में सड़क कटान का कार्य 31 मार्च 2018 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है तथा 30 जून तक सड़कों पर सुरक्षा दीवार लगाने की समयसीमा सुनिश्चित की गई है।
आल वेदर रोड योजना से जुड़ी एजेंसियों को निर्देश दिए गए हैं कि निर्माण कार्यों को समयसीमा के अंतर्गत पूरा करना सुनिश्चित करें। इस अवसर पर उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश, आयुक्त गढ़वाल दिलीप जावलकर भी मौजूद रहे।