उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अंदरखाने मतभेद की खबरों के बीच पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष ने लखनऊ में तीन दिन तक मंथन किया. इस मंथन के बाद बड़ी खबर यह है कि यूपी में संगठन में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा.
सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के नेतृत्व में ही बीजेपी आगामी विधानसभा चुनाव में जाएगी. अगले एक या दो हफ़्ते में यूपी कैबिनेट में बड़े फेरबदल होंगे, जिसमें कई नए चेहरों को जगह मिल सकती है. सूत्रों की माने तो एके शर्मा को यूपी सरकार में बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी.
सूत्रों ने बताया कि यूपी में प्रदेश अध्यक्ष के बदलने की अटकलों को पार्टी केंद्रीय नेतृत्व की तरफ़ से विराम लगा दिया गया है. यूपी चुनाव से पहले संगठन और सरकार की समन्वय बैठकें लगातार होंगी. पिछले दिनों लखनऊ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने संघ के पदाधिकारियों और बीजेपी के बड़े नेताओ से फ़ीड बैक लिया था.
सहकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले के फ़ीडबैक के आधार पर बीजेपी ने संगठन महासचिव बीएल संतोष को लखनऊ में भेजा था. उन्होंने तीन दिन तक कई बैठकें की. केशव मौर्या, स्वामी प्रसाद मौर्या समेत कई मंत्रियों से बीएल संतोष ने मुलाकात की. इसके अलावा बीएल संतोष ने संघ और पार्टी के शीर्ष पदाधिकारियों के साथ भी बैठक की.
इस बीच खबर आई कि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को बदला जा सकता है. उनकी जगह उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या को उपमुख्यमंत्री के साथ ही पार्टी प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जा सकती है, लेकिन अभी केंद्रीय नेतृत्व किसी भी तरह का रिस्क लेने के पक्ष में नहीं हैं. सूत्रों के अनुसार, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा जुलाई में यूपी के दौरे पर जाएंगे.
बीएल संतोष की बैठक के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा एके शर्मा को लेकर हुई. सबके मन में सवाल था कि क्या एके शर्मा को योगी मंत्रिमंडल में कोई अहम जिम्मेदारी दी जाएगी? सूत्रों के मुताबिक, एके शर्मा को मंत्रिमंडल में जगह देकर बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है. उनके हाथ में ब्यूरोक्रेसी की कमान सौंपने की भी चर्चा है.
हालांकि, बताया जाता है कि योगी आदित्यनाथ और एके शर्मा के बीच केमिस्ट्री सहज नहीं है और ऐसे में योगी एके शर्मा के एंट्री को लेकर नाराज भी हैं और नहीं चाहते हैं कि उनकी एंट्री ऐसे पद पर हो जहां से यह संदेश जाए कि सरकार में दो पॉवर सेंटर हैं, लेकिन पार्टी हाईकमान ने एके शर्मा को बड़ी जिम्मेदारी देने का फैसला कर लिया है