उज्जैन: भस्म आरती में जयकारों से गूंजा बाबा महाकाल का दरबार

भस्मारती, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। यह शिव जी को समर्पित है। यह प्रातः काल सूर्योदय से पहले की जाती है। इसमें कंडे की राख का उपयोग किया जाता है। इस राख को भस्म कहा जाता है।

कालो के काल बाबा महाकाल की भस्म आरती के दौरान आज वे निराले स्वरूप में शृंगारित हुए। इस दौरान बाबा महाकाल भांग, चंद्र और बेलपत्र से सजे और फिर उन्होंने भस्म रमाई। जिसके बाद भक्तों ने इन दिव्य दर्शनों का लाभ लिया और जय श्री महाकाल का उद्घोष भी किया। श्री महाकालेश्वर मंदिर में आज सुबह 4 बजे हुई भस्मारती के दौरान बाबा महाकाल का पंचामृत पूजन अभिषेक कर आकर्षक स्वरूप मे श्रृंगार किया गया। जिसने भी इन दिव्य दर्शनों का लाभ लिया वह देखता ही रह गया। आज भस्म आरती के दौरान मुम्बई के भक्त ने चांदी के आभूषण का दान किया।

विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि पौष माह माघ शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि से शनिवार पर आज बाबा महाकाल सुबह 4 बजे जागे। भगवान वीरभद्र और मानभद्र की आज्ञा लेकर मंदिर के पट खोले गए। जिसके बाद सबसे पहले भगवान को गर्म जल से स्नान करवाकर दूध, दही, शहद, शक्कर, घी आदि पंचामृत से स्नान कराया गया। पंचामृत पूजन के बाद भगवान महाकाल का पूजन सामग्री से आकर्षक स्वरूप में श्रृंगार किया गया। जिसे देखकर भक्त बाबा महाकाल की भक्ति में लीन हो गए और जय श्री महाकाल का उद्घोष करने लगे। जिसके बाद बाबा महाकाल को महानिर्वाणी अखाड़े के द्वारा भस्म रमाई गई और फिर कपूर आरती की गई।

देखने लायक होता है विशेष श्रृंगार
आज भस्मारती में शामिल होने वाले भक्तों में खासा उत्साह दिखा। किसी ने परिवार की सुख-शांति की कामना की। किसी ने देश की अमन-चैन और समृद्धि के लिए प्रार्थना की। यह मान्यता है कि बाबा महाकाल की भस्मारती के दर्शन मात्र से ही व्यक्ति धन्य हो जाता है, उसके जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। नए साल पर बाबा का विशेष श्रृंगार देखने लायक था। इस श्रृंगार में बाबा और भी दिव्य लग रहे थे।

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