जयगुरुदेव बाबा उमाकान्त महाराज ने उज्जैन में नामदान की अमृत वर्षा की। तीन दिवसीय वार्षिक भंडारे के पहले दिन उन्होंने शाकाहारी बनने की सीख भी दी।
उज्जैन में बाबा जय गुरुदेव के पिंगलेश्वर स्थित आश्रम पर तीन दिवसीय वार्षिक भंडारे की शुरुआत रविवार से हुई। पहले दिन विश्व विख्यात निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी संत बाबा उमाकान्त महाराज ने अपने अनुयायियों पर नामदान की वर्षा की।
बाबा जयगुरुदेव की स्मृति मे आयोजित इस 12वें वार्षिक भंडारे में हजारों की संख्या में जय गुरुदेव के अनुयायी देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी शामिल हुए। आयोजन सुबह 5 बजे शुरू हुआ। सबसे पहले जय गुरुदेव उमाकांत महाराज ने अनुयायियों को प्रवचन दिया। जीवन को सुखमय बनाने का रास्ता दिखाया। उन्होंने कहा कि यह शरीर किराये का मकान है। सांसों की पूंजी खत्म होने पर सबको एक दिन खाली करना पड़ेगा। यह देव दुर्लभ अनमोल मनुष्य शरीर केवल खाने-पीने, मौज-मस्ती करने के लिए नहीं मिला। मनुष्य शरीर का असली उद्देश्य जीते-जी प्रभु को पाना है। श्मशान घाट पर शरीर को मुक्ति मिलती है, आत्मा को नहीं। मौत को हमेशा याद रखो क्योंकि एक दिन सब की आती है। मरने के बाद जो काम आएं, वह काम करना है और वह दौलत प्राप्त करनी चाहिए। उन्होंने नामदान की जानकारी देते हो बताया कि कोटि जन्मों के पुण्य जब इकट्ठा होते हैं, तब सन्त दर्शन, सत्संग और नामदान का लाभ मिलता है। सन्त-सतगुरु किसी दाढ़ी, बाल या वेशभूषा का नाम नहीं है।
इस समय कलयुग में सीधा सरल प्रभु प्राप्ति का रास्ता पांच नाम के नामदान का है जो आदि से चला आ रहा और अंत तक रहेगा। मौत के समय पीड़ा इसी नाम को बोलने से कम होगी। दुःख, तकलीफ, बीमारी में राहत पाने के लिए शाकाहारी, सदाचारी, नशा मुक्त रहकर सुबह-शाम रोज रात को सोने से पहले भाव के साथ बराबर कुछ दिन जय गुरु देव नामध्वनि बोलने से फायदा दिखने लगेगा।