भारतीय सेना के कश्मीरी जवान औरंगजेब की शहादत पर पूरा देश गमजदा है. शहीद का पार्थिव घाटी में उनके गांव मेंढर पहुंच चुका है. उनके पार्थिव को हेलिकॉप्टर से गांव लाया गया. आज ही के दिन सैनिक सम्मान के साथ शहीद औरंगजेब को सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा. उधर, शनिवार को ईद के बावजूद शहीद के गांव में मातम पसरा हुआ है. औरंगजेब घाटी में आतंकियों के खिलाफ चलाए गए कई अभियानों में शामिल रहे.
रिपोर्ट्स के मुताबिक गांव के किसी घर में ईद का त्योहार नहीं मनाया जा रहा है. जवान की शहादत पर गांववालों ने केंद्र सरकार से ‘खून का बदला खून’ से लेने की मांग की. इस बीच बेटे की शहादत पर दुखी पिता मोहम्मद हनीफ ने कहा, ‘फ़ौजी या तो मारता है या मरता है. लोग अपने बच्चों को सेना में भेजना बंद कर देंगे तो देश के लिए कौन लड़ेगा.’ हनीफ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लेते हुए यह भी कहा, ‘केंद्र सरकार मेरे बेटे की शहादत का बदला ले.’
कैसे हुई थी औरंगजेब की हत्या?
14 जून की सुबह औरंगजेब ईद मनाने के लिए अपने राजौरी में स्थित अपने गांव जा रहे थे. इसी दौरान पुलवामा के कालम्पोरा से आतंकियों ने उनका अपहरण कर लिया था. 14 जून की शाम पुलिस और सेना के संयुक्त दल ने औरंगजेब का शव कालम्पोरा से करीब 10 किलोमीटर दूर गुस्सु नाम के एक गांव में बरामद किया था. उनके सिर और गर्दन पर गोलिया मारी गई थीं. कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक शहीद जवान की हत्या से पहले उन्हें टॉर्चर भी किया गया था.
हत्या से पहले क्या पूछ रहे थे आतंकी?
पीटीआई की एक रिपोर्ट में अफिशियल्स के हवाले से कहा गया है कि औरंगजेब की हत्या से पहले आतंकियों से पूछताछ की थी. इस दौरान घाटी में आतंकियों के खिलाफ चलाए उन तमाम ऑपरेशंस के बारे में औरंगजेब से सवाल कर रहे थे, जिनमें वो शामिल थे.
कौन थे औरंगजेब?
औरंगजेब, जम्मू-कश्मीर लाइट इन्फेंटरी के शोपियां में शादीमार्ग स्थित 44 राष्ट्रीय राइफल में तैनात थे. उनकी उम्र 24 साल थी. उनके पिता भी सेना में थे. रिटायरमेंट के बाद वो गांव में रहते हैं.