पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में पहले मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया ठीक से शुरू भी नहीं हो पाई कि वहां इसका विरोध शुरू हो गया. हालत ये है कि इस मंदिर निर्माण के खिलाफ फतवा जारी कर दिया गया है.
दरअसल, पिछले हफ्ते ही इस मंदिर की एक दीवार की नींव रखी गई थी. प्रधानमंत्री इमरान खान ने इसके लिए 10 करोड़ रुपए की मंजूरी भी दे दी थी. लेकिन अब इसका विरोध शुरू हो गया है.
पाकिस्तान के ‘नया दौर टीवी’ के मुताबिक धार्मिक संस्थान जामिया अशर्फिया मंदिर बनाने के खिलाफ फतवा जारी कर दिया है. संस्थान ने मंगलवार को कहा कि मंदिर निर्माण इस्लाम के खिलाफ है.
जामिया अशर्फिया के लाहौर प्रमुख मुफ्ती जियाउद्दीन ने कहा कि गैर मुस्लिमों के लिए मंदिर या अन्य धार्मिक स्थल बनाने के लिए सरकारी धन खर्च नहीं किया जा सकता. लोगों के टैक्स के पैसे को मंदिर निर्माण में खर्च करना सरकार के फैसले पर सवाल खड़े करता है.
इतना ही नहीं इस मंदिर निर्माण के खिलाफ इस्लामाबाद हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की गई. हालांकि इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने मंदिर निर्माण पर स्टे ऑर्डर से इनकार कर दिया है.
अदालत ने कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को भी धार्मिक आजादी का उतना ही अधिकार है जितना कि बहुसंख्यकों को.
उधर इस कृष्ण मंदिर के प्रबंधन का काम देख रही हिंदू पंचायत इस्लामाबाद के लाल चंद्र माल्ही का कहना है कि विरोध के बावजूद मंदिर का निर्माण जारी रहेगा. लाल चंद्र माल्ही पाकिस्तान के मानवाधिकारों के संसदीय सचिव भी हैं.
मालूम हो कि 10 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले श्री कृष्ण के मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है. मंदिर राजधानी के एच-9 क्षेत्र में 20 हजार वर्ग फुट में बनाया जाएगा. मंगलवार को लाल चंद्र माल्ही ने इस मंदिर की आधारशिला रखी थी.
उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा,'”यह इस्लामाबाद में पहला हिंदू मंदिर होगा. सरकार ने मंदिर के निर्माण के लिए जमीन दी है.’
इस्लामाबाद हिंदू पंचायत ने ही इस मंदिर का नाम श्रीकृष्ण मंदिर रखा है. इस मंदिर के लिए वर्ष 2017 में जमीन दी गई थी लेकिन कुछ औपचारिकताओं की वजह से 3 साल लटक गया था. रिपोर्ट के मुताबिक इस मंदिर परिसर में एक अंतिम संस्कार स्थल भी होगा. इसके अलावा अन्य हिंदू मान्यताओं के लिए अलग जगह बनाई जाएगी.
इमरान खान ने धार्मिक मामलों के मंत्री पीर नूर उल हक कादरी के साथ बैठक के बाद 27 जून को इस मंदिर प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी और राशि देने का ऐलान किया था. इस दौरान अल्पसंख्यक नेता लाल चंद मल्ही भी मौजूद थे.