भगवान शिव को प्रसन्न करने और मनोवांछित फल प्राप्त करने के लिए भक्त महादेव का रुद्राभिषेक करते हैं। रुद्राभिषेक यूं तो कभी कर सकते हैं लेकिन महाशिवरात्रि और सावन सोमवार पर इसका फल कई गुना अधिक मिलता है। सनातन धर्म में सबसे प्रभावशील पूजा में रुद्राभिषेक शामिल है। इससे भोले भंडारी जल्द प्रसन्न होते हैं। महाशिवरात्रि पर रुद्राभिषेक मंदिरों में किया जाता हैl साथ ही जानकारों के मुताबिक इसे भक्त चाहे तो घर पर भी कर सकते हैं। इसकी जानकारी यर्जुेवेद में दी गई है।
दूर होती ग्रह नक्षत्रों की बाधाएं: रुद्राभिषेक के फायदे बताते हुए ज्योर्तिविद् ओम वशिष्ठ कहते हैं कि सभी देवता रुद्र से संबंधित हैं। इसके मंत्र सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा शिवात्मका: से साफ है कि सभी देवताओं की आत्मा में रुद्र स्थापित हैं। विधि-विधान से रुद्राभिषेक करने से ग्रह-नक्षत्रों की बाधाए दूर होती हैं। इसके बाद वे शुभ फल देने लगते हैं। इससे रोगों और जीवन में आ रही समस्याओं से मुक्ति मिलती है। इसे करने के लिए महाशिवरात्रि सबसे उपयुक्त दिन है क्योंकि इस दिन शिव और शक्ति का मिलन हुआ था। जल से अभिषेक करने से वर्षा, भवन-वाहन के लिए दही, लक्षमी प्राप्ती के लिए गन्ने, धनवृद्धि के लिए शहद एवं घी, मोक्ष के लिए तीर्थ के जल, बीमारी से मुक्ति के लिए इत्र मिले जल से अभिषेक करना चाहिए।
ऐसे करें अभिषेक की तैयारी: कोरोना संक्रमण को देखते हुए वर्तमान में घर रुद्राभिषेक करना हितकर होगा। इसके लिए शिवलिंग के अभिषेक से पहले इन वस्तुओं को अपने पास रख ले। इसमें गाय का घी, चंदन, पान, धूप, फल, गंध, बिल्वपत्र, कपूर, मिठाई, फल, शहद, दही, ताजा दूध, मेवा, गुलाबजल, पंचामृत, गन्ने का रस, नारियल, सुपारी आदि पूजा के स्थान पर रख ले। इसके साथ जो अन्य सामग्री आप महादेव को अर्पित करना चाहते है वह भी रख ले। इसके बाद मिट्टी का शिवलिंग बना ले। इसके बाद सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित करे। शुरुआत भगवान गणेश से करते हुए माता पार्वती, नौ ग्रह, माता लक्षमी, धरती माता, ब्रह्मदेव, अग्निदेव, सूर्यदेव, गंगा माता को पूजा में आमंत्रित करे। सभी देवताओं को रोली, अक्षत, फूल चढ़ाकर शिवलिंग की पूजा करें।