हमारे देश में सियासत की वजह से आज धर्मों में दूरियां आने लगी हैं। लेकिन फिर भी कुछ ऐसी घटनाएँ और चीजें हैं जिनकी वजह से ये दूरियां मिटटी नजर आती हैं। आज हम आपको ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो धर्मों की इन दूरियों को कम करने का काम करता हैं। जी हाँ, एक ऐसा मंदिर है जहां पर मुस्लिम देवी की पूजा होती है। हम बात कर रहे हैं डोला माता मंदिर की। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।
गुजरात में अहमदाबाद से तकरीबन 40 किलोमीटर दूर एक ‘झूलासन’ नाम का गांव है। इस गांव में एक डोला माता मंदिर है, जिसमें एक मुस्लिम महिला की मूर्ति है। यहां बड़ी संख्या में हिंदू भक्त मुस्लिम देवी की पूजा अराधना करते हैं। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां पर 250 वर्ष पूर्व डोला नाम की बहादुर मुस्लिम महिला थी। एक बार जब उनके गांव में कुछ उपद्रियों ने आतंक किया तो डोला ने बड़ी बहादुरी से उनका सामना किया था। उन्होंने झूलासन गांव की रक्षा करते हुए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया था।
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सबसे खास बात तो यह है कि जिस समय यह अपनी आखिरी सांस ले रही थीं। उस समय उनका शरीर एक फूल में परिवर्तित हो गया था। यह देखकर लोग हैरान हो गए थे। ऐसे में ग्रामीणों ने उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इतना ही नहीं वहां पर उनकी याद में एक मंदिर का निर्माण करवाया गया। इसके बाद से यहां पर डोला माता की पूजा होने लगी। हालांकि इस मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है बल्कि एक पत्थर का यंत्र है। उस पर साड़ी डालकर पूजा की जाती है। हिंदू भक्तों के बीच यह मान्यता है कि डोला माता भक्तों की हर मुराद पूरा करती है।
इसके अलावा वह झूलासन गांव की भी अदृश्य शक्ति के रूप में हर पल रक्षा करती हैं। वहीं इस गांव की एक बड़ी और खास बात यह है कि अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स के पिता जी का यह पैतृक गांव है। ऐसे में जब सुनीता विलियम्स अपनी अंतरिक्ष यात्रा पर गईं थी तो उनकी सुरक्षा के लिए यहां पर अखंड ज्योति जलाई गई थी। लोगों ने डोला माता से अरज लगाई थी कि सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष से सुकुशल वापस लौट आएं। इस अखंड ज्योति की खास बात यह रही कि यह करीब 4 महीने तक जलती रही थी।