इस मंत्र के साथ शिवजी पर चढ़ाएं कच्चा दूध, हर छोटा-बड़ा संकट होगा दूर, पढ़ें कथा

श्रावण माह में लगातार बारिश होती है। इस कारण कई तरह के छोटे-छोटे जीवों की उत्पत्ति होती है। कई प्रकार की विषैली नई घास और वनस्पतियां उगती हैं। जब दूध देने वाले पशु इन घासों को और वनस्पतियों को खाते हैं तो पशुओं का दूध विष के समान हो जाता है। ऐसा कच्चा दूध पीने से हमारे स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है। इसीलिए इस माह में कच्चे दूध के सेवन से बचना चाहिए। लेकिन श्रावण में शिवलिंग पर कच्चा दूध चढ़ाने का विशेष महत्व है। शिवजी ने विषपान किया था, इस कारण श्रावण माह में शिवलिंग का दूध से अभिषेक किया जाता है।
शिव महापुराण के अनुसार सृष्टि निर्माण से पहले केवल शिवजी का ही अस्तित्व बताया गया है। भगवान शंकर ही वह शक्ति है जिसका न आदि है न अंत। इसका मतलब यही है कि शिवजी सृष्टि के निर्माण से पहले से हैं और प्रलय के बाद भी केवल महादेव का ही अस्तित्व रहेगा। अत: इनकी भक्ति मात्र से ही मनुष्य को सभी सुख, धन, मान-सम्मान आदि प्राप्त हो जाता है।
शास्त्रों के अनुसार भगवान शंकर को भोलेनाथ कहा गया है अर्थात् शिवजी अपने भक्तों की आस्था और श्रद्धा से बहुत ही जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। शिवजी के प्रसन्न होने के अर्थ यही है कि भक्त को सभी मनोवांछित फलों की प्राप्ति हो जाती है। भोलेनाथ को प्रसन्न करने के कई उपाय बताए गए हैं। इनकी पूजा, अर्चना, आरती करना श्रेष्ठ मार्ग हैं। प्रतिदिन विधि-विधान से शिव का पूजन करने वाले श्रद्धालुओं को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
शिवजी को जल्द ही प्रसन्न के लिए शिव पर प्रतिदिन कच्चा गाय का दूध अर्पित करें। गाय को माता माना गया है अत: गौमाता का दूध पवित्र और पूजनीय है। इसे शिव पर चढ़ाने से महादेव श्रद्धालु की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
श्रावण में भोलेनाथ को दूध इस मंत्र के साथ चढ़ाएं :-
नमः शंभवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।।
ईशानः सर्वविध्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रम्हाधिपतिर्ब्रम्हणोधपतिर्ब्रम्हा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम।।
तत्पुरषाय विद्म्हे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात।।
दूध की प्रकृति शीतलता प्रदान करने वाली होती है और शिवजी को ऐसी वस्तुएं अतिप्रिय हैं जो उन्हें शीतलता प्रदान करती हैं। इसके अलावा ज्योतिष में दूध चंद्र ग्रह से संबंधित माना गया है। चंद्र से संबंधित सभी दोषों को दूर करने के लिए प्रति सोमवार को शिवजी को दूध अर्पित करना चाहिए।

मनोवांछित फल प्राप्त करने के लिए यह भी जरूरी है कि आपका आचरण पूरी तरह धार्मिक हो। ऐसा होने पर आपकी सभी मनोकामनाएं बहुत ही जल्द पूर्ण हो जाएंगी।
पौराणिक कथा
समुद्र मंथन के दौरान जब विष निकला तो पूरी पृथ्वी पर हलाहल विष की घातकता के कारण व्याकुलता छा गई, तब सभी देवों ने भगवान शिव से विषपान करने की प्रार्थना की। भगवान शिव ने जब विषपान किया तो इसके कारण उनका कंठ नीला होने लगा, ऐसे में सभी देवों ने उनसे शीतल दूध का पान करने के लिए कहा।

इस पर भी भोलेनाथ ने दूध से उनका सेवन करने की अनुमति मांगी, दूध से सहमति मिलने के बाद शिव ने उसका सेवन किया, जिससे विष का असर काफी कम हो गया। बाकी बचे विष को सर्पों ने पिया, इस तरह समुद्र मंथन से निकले हलाहल विष से सृष्टि की रक्षा की जा सकी। अत: शिव के शरीर में जाकर विष के अनिष्टकारी प्रभाव को कम करने के कारण दूध भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है, यही कारण है कि शिवलिंग पर कच्चा दूध चढ़ाया जाता है।

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