इस बार वजूद की जंग लड़ रहे जीतनराम मांझी, करो या मरो के हैं हालात

अलग-अलग गठबंधनों (Alliances) के साथ चुनावी अखाड़े में जोर-आजमाइश कर चुके हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के पर इस चुनाव जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। कई गठबंधनों के साथ किस्मत आजमाने के बाद जेडीयू में वापसी करने वाले हम को नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने अपने कोटे से सात ऐसी सीटें दी हैं, जिनमें तीन दलित व पिछड़ा बहुल और सुरक्षित श्रेणी की हैं। जेडीयू ने ‘हम’ सुप्रीमो जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi) पर भरोसा करते हुए उन्हें तीन सुरक्षित सीटों के साथ ही अन्य चार सीटों पर दलितों और पिछड़ा वोटरों को साधने की जिम्मेदारी सौंपी हैं। मांझी के लिए भी यह करो या मरो का चुनाव है। पिछले पांच वर्षों से पार्टी के वजूद की लड़ाई लड़ रहे मांझी को आशा अनुरूप सफलता हासिल नहीं हो पाई है।

दो तरफा दबाव में जीतनराम मांझी

जीतनराम मांझी पर दो तरफा दबाव है। एक तो जेडीयू से मिली जवाबदेही की कसौटी पर खरा उतरने का दबाव है, तो दूसरी ओर उन्हें अपनी पार्टी के भविष्य के लिए भी मैदान मारना होगा। एक साथ दो दबावों को देखते हुए मांझी ने महासमर में विजय हासिल करने के लिए अपने पत्ते सजाने शुरू कर दिए हैं। पर मांझी के इन पत्तों में कोई नई बात नहीं दिखती।

‘हम’ के घोषणा में ये हैं खास बातें

‘हम’ के सूत्रों की मानें तो मांझी ने पार्टी का घोषणा पत्र तैयार कर लिया है। इसमें मांझी ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में की गई घोषणाओं को आगे बढ़ाने पर जोर दिया है। बताया जाता है कि घोषणा पत्र में मांझी ने एक बार फिर से दलित, आदिवासी, अनुसूचित जाति, जनजाति समाज के मुद्दों को आगे लाने पर जोर दिया है। मांझी के घोषणा पत्र में अनुसूचित जाति-जनजाति के तबकों को न्याय दिलाने के लिए हर जिले में विशेष न्यायालय, लड़कियों को शिक्षित करने के लिए ज्योति बा फूले शिक्षा योजना लागू करने, सफाई मजदूर कर्मचारी चयन आयोग का गठन करने दूसरे राज्यों में काम करने वाले गरीब तबकों के लिए प्रदेश में निबंधन के साथ ही उनका जीवन बीमा कराने जैसी घोषणाओं को प्रमुखता से शामिल किया है।

न्यायपालिका में आरक्षण भी मांगेंगे मांझी

इस चुनाव में भी मांझी न्यायपालिका में आरक्षण की बात करते भी नजर आएंगे। इसकी बानगी उनके घोषणा पत्र में भी नजर आती है। इन प्रमुख घोषणाओं के साथ ही हम ने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा तथा धार्मिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने, राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई लंबित योजनाओं को दो वर्ष में पूरा करने जैसे मुद्दों को भी शामिल किया है। चर्चा है कि 14 अक्टूबर को मांझी अपनी पार्टी का घोषणा पत्र सार्वजनिक करेंगे। देखना यह होगा कि मांझी अपने पुराने पत्तों के आधार पर चुनावी मैदान में बुलंदी का झंडा कहां तक ऊंचा कर पाते हैं।

 

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