इस बार नवरात्र आठ दिन के होंगे। अष्टमी और नवमी तिथियों को दुर्गापूजा एक ही दिन होगी। नवमी की तिथि को विजयदशमी पर्व मनाया जाएगा।
पुरुषोत्तममास बीतने के बाद नवरात्र 17 अक्टूबर को प्रारंभ होंगे और विजय दशमी 25 अक्टूबर को मनाई जाएगी। अर्थात नौ दिनों में ही दस दिनों के पर्व। इसका कारण तिथियों का उतार चढ़ाव है। 24 अक्तूबर को सवेरे छह बजकर 58 मिनट तक अष्टमी है और उसके बाद नवमी लग जाएगी। ज्योतिषाचार्य पंडित प्रियव्रत शर्मा के अनुसार दो तिथियां एक दिन पड़ गईं।
इसलिए अष्टमी और नवमी की पूजा एक ही दिन होगी। जबकि नवमी के दिन सवेरे सात बजकर 41 मिनट के बाद दशमी तिथि आ रही है। इस कारण दशहरा पर्व और अपराजिता पूजन एक ही दिन आयोजित होंगे।
कुल मिलाकर 17 से 25 अक्टूबर के बीच नौ दिनों में दस पर्व संपन्न हो रहे हैं। नवरात्र का एक दिन घटना ज्योतिषीय दृष्टि से शुभ नहीं माना जाता है।
इन दिनों अधिकमास (पुरुषोत्ताम मास) चल रहा है। मांगलिक कार्य अटक गए हैं। अब नवरात्र का इंतजार है। नवरात्र से ही शुभ लग्न शुरू हो सकेंगे।
चारधाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं ने कहा कि अधिकमास में विवाह, गृह प्रवेश, चूड़ा-कर्म, नाम करण व अन्य मांगलिक कार्य करना शुभ नहीं माने जाते हैं।
18 सितंबर से 16 अक्तूबर तक अधिकमास रहेगा। इस दौरान पंडितों के पास काम नहीं होगा। अधिकमास के कारण इस बार नवरात्र एक महीने देरी से आ रहा है। जबकि हर बार पितृ पक्ष खत्म होने के बाद नवरात्र शुरू होते हैं।