नये साल यानी 2019 के आगमन में अब 24 घंटे से भी कम का समय बचा है। आज साल 2018 का आखिरी दिन है। इस मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर न्यू ईयर मनाने की शुरुआत कब हुई थी और किसने इसकी शुरुआत की थी? 

कहा जाता है कि न्यू ईयर मनाने की परंपरा की शुरुआत करीब 4000 साल पहले हुई थी। रोम के तानाशाह जूलियस सीजर ने ईसा पूर्व 45वें वर्ष में पूरी दुनिया को एक नया कैलेंडर दिया, जिसका नाम था जूलियन कैलेंडर। उस समय दुनिया में पहली बार 1 जनवरी को नया साल मनाया गया। तब से लेकर आज तक ईसाई धर्म के लोग इसी दिन न्यू ईयर मनाते हैं।
वो जूलियस सीजर ही थे, जिन्होंने हमें साल में 12 महीने और 365 दिन दिए। जूलियन कैलेंडर को करीब 1600 साल तक इस्तेमाल किया गया। हालांकि बाद में जूलियन कैलेंडर की जगह पर ग्रेगोरियन कैलेंडर लाया गया, जिसे पोप ग्रेगारी ने लागू किया था। यह भी जूलियन कैलेंडर का ही रुपांतरण है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि अलग-अलग धर्मों में नया साल अलग-अलग दिन को मनाया जाता है। हिंदू नववर्ष की शुरुआत चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है, जिसे नव संवत कहते हैं। मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन से सृस्टि की रचना प्रारंभ की थी। अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक, यह तिथि अप्रैल में आती है।
इस मशहूर क्रिकेटर का सेक्स टेप हुआ लीक, इस एक्ट्रेस संग बनाए होटल में संबंध, मचा हडकंप
जैन धर्म में नववर्ष की शुरुआत दीपावली के अगले दिन से होती है। मान्यता है कि भगवान महावीर को दीपावली के दिन ही मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। इसलिए जैन धर्म के अनुयायी दीपावली के अगले दिन नया साल मनाते हैं।
पारसी धर्म के लोग 19 अगस्त को नवरोज के रूप में नया साल मनाते हैं। माना जाता है कि करीब 3000 साल पहले शाह जमशेदजी ने इसी दिन नवरोज मनाने की शुरुआत की थी।
सिख धर्म के लोग वैशाखी पर्व के रूप में नया साल मनाते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, हर साल अप्रैल में वैशाखी मनाई जाती है। सिख धर्म के लोग बड़े ही धूमधाम से इस पर्व को मनाते हैं।
मुस्लिम धर्म के लोगों का नया साल मोहर्रम की पहली तारीख से शुरू होता है, जिसे हिजरी कहते हैं। हिजरी कैलेंडर सभी मुस्लिम देशों में इस्तेमाल किया जाता है और दुनियाभर के मुस्लिम अपने धार्मिक पर्व इसी कैलेंडर के हिसाब से मनाते हैं।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal