दुनिया में कई जनजातियां ऐसी हैं जिनके हुनर को देखकर हर कोई हैरान रह जाता है. ऐसी ही एक जनजाति भारत के अंडमान निकोबार द्वीप समूह पर पाई जाती है. जिसका हुनर किसी अजूबे से कम नहीं है और अंडमान निकोबार में पाई जाने वाली बाजाओ जनजाति के लोगों में एक खास कला जिसके द्वारा वो कई मिनटों तक गहरे समुन्दर में डुबकी लगा सकते हैं. इनकी इस कला को जानकर सारी दुनिया सदके में है. इस जनजाति पर वैज्ञानिकों ने भी लम्बे समय तक शोध किया और फिर दावा किया कि उनके जीन में बदलव के कारण वो ऐसा कर पाते हैं.
बाजाओ कबीले के लोग बिना ऑक्सीजन सिलेंडर के गहरे समुंदर में कई घंटों तक साँस रोककर मछलियां पकड़ते हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक बाजाओ कबीले के लोगों की तिल्ली या प्लीहा वक्त के साथ काफी बड़ी हो गई. पेट में मौजूद तिल्ली शरीर में ऑक्सीजन से समृद्ध लाल रक्त कणिकाओं को स्टोर रखती है. जब जरूरत पड़ती है तब तिल्ली से कणिकाएं निकलती है और पर्याप्त ऑक्सीजन मुहैया कराती हैं. बड़ी तिल्ली के चलते बाजाओ गोताखोरों के शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई ज्यादा हो सकती है. इसके चलते वह काफी देर तक समंदर के अंदर सांस रोक पाने में सफल होते हैं.
इस जनजाति के लोगों के लिए समुन्दर में गोता लगाना एक आम बात है. बाजाओ कबीले के लोग हर दिन भोजन की तलाश में समंदर में गोता लगाते हैं. आम तौर पर वह बिना किसी ऑक्सीजन के 70 मीटर की गहराई तक जाते हैं. उस गहराई पर वह एक सांस में 13 मिनट तक पैदल चल या फिर तैर सकते हैं. तलहटी में पैदल चलते हुए वे नुकीले बर्छों से शिकार करते हैं. ये गोताखोर अपने रोजमर्रा के कामकाज का 60 फीसदी हिस्सा समंदर के भीतर बिताते हैं. बाजाओ कबीले के लोग इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस और भारतीय द्वीप समुदाय अंडमान निकोबार में पाए जाते हैं.