शहडोल जिले में ब्यौहारी विधानसभा का एक गांव ऐसा है, जिसमें न तो अब तक विकास पहुंचा और न ही कोई नेता या अफसर। दुर्गम पहाड़ों के बीच स्थित इस गांव में पहुंचने के लिए उबड़-खाबड़ रास्तों के बीच आठ किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। गांव के लोगों का कहना है कि हमारे यहां कोई आता नहीं, मतदान के समय कोई नेता आएगा और ले जाएगा तो हम बटन दबा आएंगे।
दाल गांव की रोजमर्रा की जिंदगी में जो जद्दोजहद है, उसे देखकर शायद आप सिहर जाएं। यहां पहुंचने के लिए पहाड़-सी हिम्मत चाहिए और चट्टान जैसा हौंसला। रास्ते की दुश्वारियां इतनी हैं कि अच्छे-अच्छों के पसीने छूट जाएं। आज तक यहां न तो कोई दरियादिल नेता पहुंचा और न ही कोई दिलेर अफसर। यहां की कठिनाइयों से आपको रूबरू कराते हैं।
ब्यौहारी मुख्यालय से पश्चिम की ओर ऊबड़-खाबड़ रास्तों से होते हुए 30 किमी दूर झिरिया गांव पहुंचे। यहां से जब दाल गांव का रुख किया तो सड़क तो जैसे गायब हो गई। बड़े-बड़े बोल्टर से वास्ता पड़ा और घना जंगल भी था। वाहन तो छोड़ दीजिए। पैदल चलने तक में दुश्वारी। आठ किमी दुर्गम रास्ते पार कर दाल गांव पहुंचे और फिर देखी यहां की जिंदगी की पहाड़ जैसी दुश्वारियां।
जब इस गांव के लोगों से चुनाव के बारे में बातचीत की तो किसी को पता ही नहीं था। लगभग तीस परिवार वाले 100 मतदाताओं के इस गांव में बूथ भी नहीं है। 2013-14 में 8 किमी नीचे उतरकर धांधूकुई वोट डालने गए थे। कहते हैं कि जब कभी चुनाव होता है तो सरपंच या सचिव लेने आ जाते हैं। हम जाकर बटन दबा देते हैं। इन दिनों किसका चुनाव हो रहा है लोकसभा या विधानसभा, किसी को पता नहीं।
पानी के लिए रोज संघर्ष
पूरे गांव में पीने का पानी नहीं है। जलस्तर इतना नीचे है कि कुआं खोदने पर कभी पानी नहीं मिला। बोर का तो सवाल ही नहीं। गांव में बिजली भी नहीं है। कोई दुकान भी नहीं है।
न सरकार जानते हैं न विधायक
रामरतन सिंह कहते हैं हम न तो सरकार को जानते हैं और न विधायक को, क्योंकि कई दशक बीतने के बाद भी न तो कोई नेता यहां आए हैं, और न ही अधिकारियों ने सुध ली है। सुना था पिछली बार भाजपा हारी थी, कांग्रेस जीती थी। स्कूल है, लेकिन बंद रहता है। पहाड़ में चढ़ने-उतरने में बहुत दिक्कतें होती हैं, लेकिन क्या करें कोई सुनता ही नहीं है।
चुनाव है, बटन दबाकर आ जाएंगे
दाल गांव के बांके सिंह कहते हैं अभी आपसे पता चला कि चुनाव है, लेकिन ये नहीं मालूम चुनाव से कौन और कैसे नेता बनेगा। दशकों से कोई नेता नहीं आया। चुनाव आता है तो कुछ नेता आ जाते हैं, कहते हैं वोट डालने चलना है, हम चले जाते हैं और बटन दबाकर आ जाते हैं।
एसडीएम भी बेखबर
ब्यौहारी के एसडीएम पीके पांडेय कहते हैं कि इस गांव की लोकेशन बताइए। तभी बता पाऊंगा। तहसीलदार जानकारी दे पाएंगे। मैं अभी पूरे गांव नहीं घूमा हूं। इसका मतदान केंद्र देखना होगा।
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