हिन्दू धारण में गणेश ही का खास स्थान है। सबसे पजल इन्हें ही मनाया जाता है। वहीं अलग-अलग कामना पूर्ति के लिए अलग-अलग गणेश प्रतिमाएं होती हैं जिनके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।

श्री गणेश : मिट्टी के पार्थिव श्री गणेश बनाकर पूजन करने से सर्व कार्यसिद्धि होती है।
हेरम्ब : लक्ष्मी प्राप्ति के लिए गुड़ के बने गणेशजी का पूजन करें।
वाक्पति : विद्या प्राप्ति के लिए भोजपत्र पर केसर से श्री गणेश प्रतिमा बनाएं और पूजन करें।
उच्चिष्ठ गणेश : स्त्री सुख और स्त्री को पति सुख प्राप्त करना है तो लाख के श्री गणेश बनाकर पूजन करें इससे घर में क्लेश भी नहीं होता है।
कलहप्रिय : नमक की डली या नमक के श्री गणेश बाँयें इससे दुश्मन आपस में लड़ बैठते हैं।
गोबर गणेश : गोबर के श्री गणेश बनाकर पूजन करने से पशुधन में वृद्धि होती है और पशुओं की बीमारियां नष्ट होती हैं।
तार्क श्री गणेश : सफेद आक मन्दार की जड़ के गणेशजी बनाकर पूजन करने से भूमि और भवन में लाभ होता है।
शत्रुंजय : शत्रुनाश करना हो और युद्ध में विजय पाना हो तो कड़वे नीम की लकड़ी से गणेशजी बनाकर पूजन करें।
हरिद्रा गणेश : हल्दी की जड़ से या आटे में हल्दी मिलाकर श्री गणेश प्रतिमा बनाएं इससे विवाह में आने वाली बाधा नष्ट होती है।
संतान गणेश : मक्खन के श्री गणेशजी बनाकर पूजन से संतान प्राप्ति के योग निर्मित होते हैं।
धान्य गणेश : सात तरह के अक्षत पीसकर गणेश जी की प्रतिमा बनाएं इससे अन्नपूर्णा मां प्रसन्न होती हैं।
महागणेश : लाल चंदन की लकड़ी से दशभुजा वाले श्री गणेशजी की प्रतिमा बनाएं ऐसा करने से राजराजेश्वरी श्री आद्याकालीका की कृपा होती है।
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