मध्य प्रदेश के बुरहानपुर का शाही किला. अपनी नायाब इमारत के लिए देश भर में मशहूर है. लेकिन 25 साल पहले इसे देखरेख के अभाव में बंद कर दिया गया था. अब प्रशासन ने इसे एक बार फिर टूरिस्ट के लिए खोलने का फैसला किया है.
यह किला छठी-सातवीं शताब्दी में आदिल शाह फारुकी बादशाह ने बनवाया था. इस किले को भूलभुलैया भी कहते हैं. ऐसा इसीलिए क्योंकि शाही किले के भीतरी भाग में अनेक रास्ते हैं. जिस कारण इसमें जाने वाले लोग भटक जाते हैं. हालांकि,इस किले का ज्यादातर भाग खंडित हो गया है. 
इस किले का इतिहास मुग़ल बादशाह की बेगम शाहजहां से भी जुड़ा हुआ है. इतिहासकारों के मुताबिक, किले में 1603 ईसवीं से मुगल बादशाहों का आगमन हुआ.
बेगम मुमताज ने इसी महल में 14वीं संतान को जन्म दिया. 6 जून 1631 की सुबह शाहजहां की गोद में मुमताज ने अंतिम सांस ली थी.
इस महल के परिसर में दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, शाही हमाम, लौंगानी मस्जिद भी देखने लायक हैं. परिसर में म्यूजियम भी बनाया गया है. इसमें शहर की पुरातन वस्तुओं का संग्रह किया गया है.
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