दोपहर के एक बजकर बीस मिनट का वक्त। जालंधर सिटी रेलवे स्टेशन पर एनाउंसमेंट की जा रही थी कि नई दिल्ली से चलकर अमृतसर को जाने वाली शान-ए-पंजाब मेल थोड़ी ही देर में प्लेटफार्म नंबर एक पर आने वाली है। दोपहर 1.24 बजे ट्रेन प्लेटफार्म नंबर एक पर आकर रुकती है। दैनिक जागरण की टीम यात्रियों के उतरने के बाद डिब्बे में सवार हो जाती है। टायलेट के बाहर से लेकर डिब्बों के अंदर तक यात्रियों से खचाखच भरी ट्रेन में पोलियो के शिकार दिव्यांग जोगिंदर भारती हाथ में कटोरा लिए भीड़ कोचीरते हुए आवाज लगाते हैं, लंगड़े को दस रुपया दो, भगवान झोली भर देगा…।
दिन बुधवार, जालंधर से अमृतसर का सफर, रेल यात्री बोले- जो बेहतर सुविधा दे, उसे ही चुनाव जिताना है
भरी ट्रेन में चुनावी चर्चा में मशगूल सोनीपत निवासी हरपाल व उनके ग्रुप से जागरण टीम मुखातिब होती है। मोदी प्रधानमंत्री होंगे या राहुल गांधी, को लेकर बहस चल रही थी। इस बीच हरपाल ने कहा, राहुल ने तो पहले ही दो स्थानों से चुनाव लड़ने की तैयारी कर हार मान ली है। इतने में जोगिंदर का सिक्कों से खनखनाता डिब्बा उनकी चुनावी चर्चा में खलल डालता है। खलल के साथ जोगिंदर का गीत …तेरा सुखी रहे संसार सुनकर हरपाल ने उसे झिड़की मार कर आगे भगाया, लेकिन यात्रियों से वसूली करने के बाद जोगिंदर ने भी हरपाल को अपने पोलियोग्रस्त पैरों की तरफ इशारा करते हुए तंज मारा, साहब जी जो सबकी सुध लेगा वही राज करेगा…। इयके साथ ही वह ‘ ..तेरा सुखी रहे संसार’ गीत गाते हुए अगले डिब्बे की तरफ बढ़ गया।
ट्रेन में गीत सुनने के साथ चुनावी चर्चा में भी मशगूल थे मुसाफिर
हम भी जोगिंदर के पीछे-पीछे अगले डिब्बे की तरफ बढ़े। टायलेट तक भीड़ से भरे डिब्बे में जोगिंदर हमसे ज्यादा आसानी के साथ दूसरे डिब्बे में पहुंच गया। नजारा देखने लायक था। दूसरे डिब्बे में सोनीपत से अमृतसर जा रहा 32 यात्रियों का ग्रुप ढोलक व चिमटे से निकल रहे संगीत के साथ ‘संतन के हैं संत यह, बहुजन के संत…कीर्तन गाते हुए गुरु की नगरी का रास्ता कम करने में जुटा था। इसी ग्रुप में परिवार के साथ शामिल बलविंदर सिंह व ब्रह्मदत्त भी लोकसभा चुनाव को लेकर मंथन में जुटे थे।
अंबाला निवासी ब्रह्मदत्त मोदी की तमाम उपलब्धियों को बलविंदर के सामने रखकर उन्हें समझाने में लगे थे कि कैसे इन उपलब्धियों के आधार पर मोदी के सिर पर ही ताज सजेगा। थोड़ी देर की बहस के बाद बलविंदर आखिरकार ब्रह्मदत्त से सहमत हो गए और कहा कि आम लोगों को तो सुविधा चाहिए। जो बेहतर सुविधा दे, उसे ही चुनाव जिताना है।
कीर्तन व ढोल तथा चिमटे के संगीत के शोर में डूबा पूरा डिब्बा और खुली खिड़कियों से आती तेज हवाओं के बीच डिब्बे में आवाज गूंजती है ..चाय, चाय, चाय, गरम चाय। पास ही बैठे नीरज ने चाय ली। चाय की चुस्कियों के बीच कीर्तन व चुनावी बहस का लुफ्त लेते हुए नीरज आंखें मूंद कर गंतव्य के इंतजार में खोते चले गए।
गुरु जिसको चाहेगा उसकी सरकार बन जाएगी
हम अगले डिब्बे में पहुंचते हैं तो मनजीत कौर व पिंजौर सिंह गुरु के ध्यान में डूबे थे। उन्हें टटोलने की कोशिश की तो पिंजौर सिंह बोले, गुरु के घर जा रहे हैं। गुरु जिसको चाहेगा, उसकी सरकार बन जाएगी और क्या कह सकते हैं। हमें तो धक्के ही खाने हैं, चाहे ट्रेन में बैठकर खाएं या लाइन में लगकर। पटियाला निवासी कुश्ती खिलाड़ी कुनाल कहते हैं कि पंजाब का भला कब होगा पता नहीं। खिलाडिय़ों को सुुविधाएं कब मिलेंगी। पंजाब की तरफ कोई सरकार ध्यान ही नहीं दे रही है। पूरे देश में विकास हो रहा है, लेकिन पंजाब में हाईवे निर्माण के अलावा कुछ नहीं हो रहा है। युवा इस बार डटकर उसे ही वोट देंगे जिस पर काम करवाने का भरोसा होगा।
दोबारा सत्ता में आने पर मोदी पूरा करप्शन खत्म देंगे
बात खत्म भी नहीं हुई थी कि डिब्बे में प्रवेश द्वार से आवाज आती है कि बबलू के लड्डू खा लो, एक बार खाओगे, बार-बार इसी ट्रेन में आओगे। हम भी भीड़ को चीरते हुए बबलू के पास पहुंचे तो लगा कि बबलू की आवाज में दम था। तीन लोग उसके लड्डू लेने के लिए खड़े थे।
वह रेलवे को कोस रहा था कि क्या करें जनाब, 300 रुपये की पर्ची टीटी काट गया है। आज की दिहाड़ी तो गई। लड्डू लेने के लिए खड़े निर्मल बबलू को दिलासा देते हैं कि कोई न ..हजे मोदी ने आधा करप्शन खतम कित्ता आ, दोबारा आउगा तो रहेया सहेया भी खतम कर जाऊ (कोई बात नहीं, मोदी ने आधा करप्शन खत्म किया है, दोबारा आएंगे तो वो भी समाप्त हो जाएगा)।
निर्मल लड्डू लेकर अपनी सीट की तरफ बढ़े ही थे कि …कोल्ड ड्रिंक, कोल्ड ड्रिंक की आवाज के साथ ट्रेन की कैंटिन का कर्मचारी बाल्टी में कुछ बोतलें कोल्ड ड्रिंक की लेकर पेश हुआ और यात्रियों के चेहरे पर गौर से नजर मारता हुआ तेजी के साथ आगे निकल गया। इसी बीच फिर से जोगिंदर भारती से मुलाकात हो गई, कुछ यात्री टायलेट के पास खड़े होकर जोगिंदर के गीतों के सहारे गंतव्य तक पहुंचने की कवायद में लगे थे।
नालंदा में मेरा वोट है, वोट दूंगा तभी तो पैसे मिलेंगे
हमने भी यात्रियों से सवाल दाग दिए कि लोकसभा चुनाव का क्या माहौल चल रहा है तो सभी यात्री सकपकाए और कैमरा देखकर संतुलित होते हुए बोलने लगे देखो जी कि बनदा ए। केदी सरकार बनूगा हजे कुछ नई कह सकते…। बात जारी ही थी कि जोगिंदर बोल पड़ा साहब जी मैं तो वोट डालने जाऊंगा। नालंदा में मेरा वोट है, वोट दूंगा तभी तो पैसे मिलेंगे। वोट नहीं दूंगा तो सरकार की तरफ से मिलने वाले 400 रुपये नहीं मिलेंगे। जोगिंदर की बात सुनकर हम स्टेशन पर यह सोचते हुए उतर गए कि कब हम लोग वोट और नोट की पावर में अंतर समझ पाएंगे।