इराक में मारे गए भारतीयों का शव लेने से परिवार का इंकार, सरकार के सामने रखी यह शर्त

इराक के मोसुल में मारे गए 38 भारतीयों के शवों को लेकर सोमवार को विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह वतन वापस लौटे। मारे गए भारतीयों में छह बिहार से ताल्लुक रखते थे। सीवान के दो परिवारों ने शवों को लेने से इंकार कर दिया है। वह राज्य सरकार से वित्तीय सहायता का आश्वासन चाहते हैं। इसके अलावा दो परिवार शवों को लेने के लिए ही नहीं पहुंचे। एक की डीएनए मैच होने का काम चल रहा है।

 

मृतक अदालत सिंह के बेटे श्याम कुमार का कहना है कि हम उनके शव को तब तक घर लेकर नहीं जाएंगे जब तक सरकार परिवार को चलाने के लिए आर्थिक मदद देने का आश्वासन नहीं देती है। वहीं सुनील कुमार की पत्नी पूनम देवी का कहना है वह परिवार में अकेले कमाने वाले थे और मैं अब बच्चों को पालने के लिए नौकरी चाहती हूं। मृतकों के परिवार वाले चाहते हैं कि पंजाब सरकार की तरह बिहार सरकार भी उन्हें मुआवजे के साथ नौकरी का आश्वासन दे। यदि ऐसा नहीं होता है तो वह शव को स्वीकार नहीं करेंगे।

इस मामले पर सीवान जिाधिकारी महेंद्र कुमार का कहना है कि वह नियमों के मुताबिक हर संभव मदद करेंगे। उन्होंने कहा- हम उन्हें समझाने की कोशिश करेंगे। उन्हें नियमों के मुताबिक हर संभव मदद दी जाएगी। मारे गए दो नागरिकों के परिवार वाले अपनी मर्जी से शव को लेने नहीं आए और उन्होंने कहा कि वह घर में शवों को प्राप्त करेंगे।

बता दें कि 39 भारतीयों में से 38 के शव के अवशेष सोमवार को विशेष विमान से भारत वापस लाया गया और उन्हें उनके रिश्तेदारों को सौंप दिया गया। इन अवशेषों को लाने के लिए जनरल वीके सिंह खुद इराक गए थे। इसके बाद उन्होंने अवशेषों को मृतकों के परिजनों तक पहुंचाया। एक भारतीय राजू यादव के डीएनए को मैच करने का काम जारी है। डीएनए मैच होने के बाद उनके शव को भी स्वदेश लाया जाएगा।

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