एक फोन एप और पांच करोड़ से ज्यादा मतदाताओं का डाटाबेस पिछले महीने हुए संसदीय चुनाव में इमरान खान का प्रमुख हथियार था। हालांकि, उनके विरोधी उन पर गुपचुप तरीके से सेना की मदद लेने का आरोप लगा रहे हैं। इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने 25 जुलाई के मतदान से पहले तकनीक का जिस तरह इस्तेमाल किया, उससे अन्य पार्टियों पर बढ़त बनाने में उसे बड़ी कामयाबी मिली।
चुनाव से पहले पीटीआई ने अपनी रणनीति को गोपनीय रखा था। उसे अंदेशा था कि उसकी देखादेखी प्रतिद्वंद्वी पार्टियां भी चुनाव में तकनीक का इस्तेमाल कर सकती हैं। चुनाव के बाद कई पार्टी कार्यकर्ताओं ने बताया कि किस तरह फोन एप ने पूरे चुनाव प्रचार को बदल दिया और वह अन्य पार्टियों से आगे निकल गई।
फोन एप से पीटीआई को खासकर चुनाव के दिन अपने मतदाताओं को मतदान केंद्रों तक लाने में बड़ी सहायता मिली। दूसरी तरफ सरकार की टेलीफोन सूचना सेवा चुनाव के दिन मतदाताओं को सही सूचना देने में बार-बार नाकाम साबित हो रही थी। इससे दूसरी पार्टियों के समर्थक घरों में ही बैठे रहे।