नई दिल्ली। गुरुवार को शेयर बजार में गिरावट के साथ ही डॉलर के मुकाबले रुपया भी फिसलकर 68.86 के स्तर पर पहुंच गया। यह रुपए का 2013 के बद अब तक का सबसे निचला स्तर भी है। नोटबंदी के बाद भारतीय रुपया अब तक 4 प्रतिशत तक गिर चुका है।
ईकोनॉमिक्स टाइम्स की खबर के अनुसार ब्रोकरेज फर्म एडलेविस का मानना है कि डॉलर के मुकाबले रुपए की यह कमजोरी फिलहाल जारी रहेगी। हालांकि यह दबाव तब कम हो सकता है जब सिस्टम में लिक्विडिटी नॉर्मल हो जाए।
डॉलर के मुकाबले रुपए की इस कमजोरी के यह हैं पांच बड़े कारण
विदेशी मुद्रा का आउटफ्लो
1 नवंबर से ही भारत का 10 साल वाला बॉन्ड यील्ड अब तक 60 बेसिस पॉइंट गिर चुका है। वहीं अमेरिका का 10 साल वाला बॉन्ड यील्ड 2.35 प्रतिशत बढ़ा है। इसने एफपीआई को भारतीय बाजार में अपनी कुछ होल्डिंग्स को कम करने के लिए प्रेरित किया। 1 अक्टूबर से अब तक उन्होंने अपने 16.936 करोड़ के शेयर ऑफलोड किए हैं। एचडीएफसी सिक्युरिटीज के प्रायवेट क्लाइंट ग्रुप के हेड विनोद शर्मा के अनुसार अगर डॉलर बढ़ता रहा और रुपया 100 तक गिरा तो विदेशियों को भारत में कम फ्लो नजर आएगा।
मजबूत होता डॉलर
बुधवार को डॉलर इंडेक्स ने 13 साल के सर्वोच्च स्तर को छू लिया जो यह दिखाता है कि उनकी अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में है। डॉलर को यह अंतर रुपए के अलावा इंडोनिशियाई रुपियाह, थाई बहत, फिलिपींस के पीसो और मलेशिया के रिंगिट नजर आया।
एफसीएनआर में छूट
रिजर्व बैंक ने सितंबर में अपना विशेष एफसीएनआर(बी) डिपॉजीट सितंबर 2013 में फ्लो किया था ताकि रुपए को सुधारा जा सके। माना जा रहा है कि उसके बाद से फिर रुपया इतने निचले स्तर पर गया है और ऐसे में आरबीआई यह कदम फिर उठा सकती है। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि इस डिपॉजिट का रिडम्शन प्रेशर बजार में जरूरत से ज्यादा डॉलर की मांग को बढ़ा सकता है। बाजार के आंकलन के अनुसार नवंबर के लिए 25 बिलियन डॉलर का एफएनसीआर रिडम्शन शेड्यूल है और इसके चलते डॉलर की अधिक मांग ने रुपए पर दबाव बना दिया है।
सिस्टम में लिक्विडिटी
एडलेवीस के अनुसार ऐसे समय में जब लोगों के पास कैश की कमी हुई है इंटर बैंक लिक्विडिटी तेजी से बढ़ी है। ताजा आंकलन के अनुसार बैंकों को 6 लाख करोड़ रुपए मिले हैं। 12 नवंबर के बाद से रिजर्व बैंक ने रिवर्स रेपो विंडो से बिड्स लेना शुरू किया है जिसके बाद हर रोज का एब्सोर्शन 80 हजार करोड़ तक पहुंच गया है। 23 नवंबर को बैंकों ने लगभग 1.2 लाख करोड़ रिवर्स रेपो विंडों के तहत ऑफर किए थे जिन्हें मान लिया गया है। एडलेवीस का मानना है कि बैंकों में जरूरत से ज्यादा लिक्विडिटी और डॉलर की बढ़ती मांग रुपए को दबाव में रखेगी।
अमेरिकी फेड रेट हाइक
मार्केट वाचर्स के अनुसार इस बात की 90 प्रतिशत संभावना है कि यूएस फेडरल रिजर्व दिसंबर में ब्याज दरें बढ़ा दे। यह संभावना उन फंड मैनेजर्स को प्रेरित कर रही है कि जो भारत जैसे उभरते बाजार में प्रॉफिट बुक करें।