इजरायल के सांसदों ने गुरुवार को बहुमत से संसद भंग करने का फैसला किया। इसके चलते देश में इस साल दूसरी बार संसदीय चुनाव का रास्ता साफ हो गया है। संसद भंग करने की नौबत इसलिए आई क्योंकि प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू बुधवार-गुरुवार की मध्यरात्रि तक गठबंधन सरकार बनाने में विफल रहे। अब इजरायल में 17 सितंबर को फिर चुनाव होंगे। नेतन्याहू ने इस पर कहा, ‘हम फिर चुनाव जीतेंगे।’
इजरायल के सांसदों ने 45 के मुकाबले 74 मतों से संसद भंग करने का फैसला किया। गत नौ अप्रैल को हुए आम चुनाव में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था। 120 सदस्यीय संसद में नेतन्याहू की लिकुड पार्टी को सबसे ज्यादा 36 सीटें मिली थीं। जबकि मुख्य प्रतिद्वंद्वी ब्लू एंड ह्वाइट पार्टी के खाते में 35 सीटें आई थीं। बाकी सीटों पर दूसरी छोटी पार्टियों ने जीत दर्ज की थी। बहुमत नहीं मिलने के बावजूद नेतन्याहू पांचवीं बार देश की कमान संभालने की तैयारी में जुट गए थे। उन्होंने पूरे यकीन के साथ कहा था कि वह अन्य राष्ट्रवादी और धार्मिक दलों के सहयोग से गठबंधन सरकार बना लेंगे। नेतन्याहू 2009 से इजरायल के प्रधानमंत्री हैं।
तय समयसीमा में बनानी होती है सरकार- इजरायल की संवैधानिक व्यवस्था के तहत चुनाव होने के 50 दिन के अंदर नई सरकार का गठन हो जाना चाहिए। ऐसा नहीं होने पर संसद भंग कर दी जाती है और नए सिरे से चुनाव कराने का प्रावधान है।
पूर्व रक्षा मंत्री को ठहराया जिम्मेदार- नई सरकार के गठन के लिए तय समयसीमा के अंदर नेतन्याहू की अन्य राष्ट्रवादी पार्टियों के साथ बात नहीं बन पाई। नेतन्याहू ने सरकार नहीं बना पाने के लिए पूर्व रक्षा मंत्री और राष्ट्रवादी इजरायल बेइतिनु पार्टी के नेता एविग्डोर लिबरमैन को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने आरोप लगाया कि लिबरमैन उन्हें पद से हटाना चाहते हैं। लिबरमैन ने हालांकि इसका खंडन किया है।
अनिवार्य सैन्य सेवा बना कारण- नेतन्याहू और अन्य राष्ट्रवादी दलों के बीच अनिवार्य सैन्य सेवा को लेकर बात नहीं बन पाई। लिबरमैन समेत दूसरे दलों के नेताओं का कहना था कि धर्म-कर्म की पढ़ाने करने वाले युवाओं को भी राष्ट्रीय सेवा में शामिल किया जाए। जबकि कई पार्टियां उन्हें छूट देने की मांग कर रही थीं।