पिलियाखाल क्षेत्र में कई आश्रम और प्राचीन मंदिर है। नाले के प्रदूषित पानी के कारण यहां के घाटों पर पर एक फीट तक गाद जमी रहती थी। इस कारण लोग घाट के समीप बने मंदिरों तक भी नहीं जा सकते थे।
इंदौर में स्वच्छता को लेकर फिर से नगर निगम ने कमर कस ली है,क्योकि 15 फरवरी से इंदौर में स्वच्छता सर्वेक्षण शुरू हो चुका है। इंदौर सात बार से सफाई में नंबर वन है। आठवीं बार भी इंदौर इस खिताब को बरकरार रखना चाहता है। इस बार शहर के जलस्त्रोतों को साफ करने पर भी जोर दिया जा रहा है।
इंदौर के पिलियाखाल क्षेत्र के घाट की सूरत निगम ने चार माह में बदल दी। पहले यहां चारों तरफ गाद और गंदा पानी था, किनारे पर खड़े रहने पर बदबू आती थी, लेकिन अब घाट इतना सुंदर हो चुका है कि मेयर पुष्य मित्र भार्गव ने अगली महापौर परिषद बैठक सूख चुके नाले में करने का फैसला लिया है। घाट के दोनो तरफ पत्थर की दीवार भी बनाई गई है।
इंदौर के एक नंबर विधनासभा क्षेत्र में आने वाले पिलियाखाल क्षेत्र में कई आश्रम और प्राचीन मंदिर है। नाले के प्रदूषित पानी के कारण यहां के घाटों पर पर एक फीट तक गाद जमी रहती थी। इस कारण लोग घाट के समीप बने मंदिरों तक भी नहीं जा सकते थे, लेकिन लगातार तीन से ज्यादा पोकलेन की मदद से पूरे क्षेत्र के नाले की गाद को हटाया गया और एक ट्रेंच के जरिए नाले के दूषित पानी का बहाव सीमित किया गया। अब नाला पूरी तरह सूख चुका है।
इस बार जल प्रदूषण कम करने के भी अंक
स्वच्छता सर्वेक्षण सर्वे में इस बार जल प्रदूषण कम करने के लिए किए गए उपायों के भी नंबर है। इस कारण नगर निगम नालों की सफाई पर जोर दे रहा है। इंदौर के बापट चौराहा वाले नाले, कुलकर्णी नगर और पलासिया नाले की गाद भी साफ की गई है। कृष्णपुरा छत्री से लालबाग तक 100 से ज्यादा डंपर खाद निकाली गई है।
मेयर पुष्य मित्र भार्गव ने कहा कि है कि इस बार पिलियाखाल के घाट पर महापौर परिषद की बैठक अायोजित की जाएगी। जिमसें शहर विकास से जुड़े एजेंडों पर चर्चा होगी।
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